देश का बैंकिंग तंत्र चौपट हो गया, यह सीबीआई से ज्यादा बड़ा संकट लाएगा – अखिलेश यादव
आफताब फारुकी/ शाहरुख़ खान
लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज सीबीआई मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथो लिया और खूब खरी खोटी सुनाई। अखिलेश ने यहां संवाददाताओं से कहा ”आज देश की संस्थाओं पर ताले लग रहे हैं। आखिर कौन सी ऐसी संस्था है जो बची रह गयी है। किसी भी सरकार या राजनीतिक दल को संस्थाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिये। आप ऐसा करेंगे तो जनता किस पर विश्वास करेगी। संस्थाओं को खत्म करने का काम सबसे ज्यादा भाजपा ने ही किया है। देश का बैंकिंग तंत्र चौपट हो गया। यह सीबीआई से ज्यादा बड़ा संकट लाएगा।
उन्होंने सीबीआई में जारी घटनाक्रम की तरफ इशारा करते हुए कहा ”जिस संस्था के बहाने हमें, आपको डराया जाता था। सरकारें डराती थीं। आज सोचो सरकार कैसे चुपचाप बैठ गयी है। कैसे सरकार के तोते उड़ गये हैं। ”अखिलेश ने कहा ”देश की एक-एक संस्था पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। कौन किसको बचा रहा है। सरकारों ने सीबीआई का गलत इस्तेमाल किया है। उससे बहुत से लोगों को डराया है।
सपा अध्यक्ष ने कहा ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के लोगों ने पिछली फरवरी में लखनऊ में बड़े तामझाम के साथ इन्वेस्टर्स समिट की थी। सरकार बताए कि कितने निवेशक आये और कौन सा बैंक उन्हें सहयोग कर रहा है। हमें पता लगा है कि इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन में लगी चीनी लाइट में घोटाला कर दिया गया है। मगर हम अब तो इसकी सीबीआई जांच की मांग भी नहीं कर सकते।
उन्होंने एक सवाल पर कहा ”राफेल जैसे इतने बड़े समझौते पर अगर सवाल खड़े हुए हैं तो भाजपा को सचाई के साथ जरूर सामने आना चाहिये। इस डील का सच जानने के लिये सपा ने संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग की है। अगर यह समिति बन गयी तो जनता को बहुत से सवालों का जवाब मिल जाएगा।
अखिलेश ने कहा कि बड़ी वाहवाही के साथ हुई नोटबंदी का नतीजा यह है कि आजादी के बाद देश में पहली बार बैंक घाटे में आ गये हैं। नोटबंदी से देश में निवेश ही नहीं बल्कि खुशहाली भी रुकी है। आज लोग बैंकों का पैसा लेकर विदेश में बैठे हैं। अगर सिर्फ 2000 प्रमुख कर्जदार लोग अपना ऋण वापस कर दें तो शायद बैंकों में फिर से खुशहाली आ जाएगी। इन लोगों ने पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है।
उन्होंने कहा कि आज हालत यह है कि मौजूदा सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था का यह हाल है कि दुनिया में भारत का नौजवान सबसे ज्यादा दुखी है। लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिये ना जाने कितनी मेहनत करते हैं। दुर्भाग्य है कि मौजूदा सरकार ने जिस तरह की व्यवस्था बनायी है, उसमें आज के युवा सपने भी नहीं देख सकते।