हमने कोर्ट से पूछ के मस्जिद नही गिराया, और न हम पाकिस्तान में मंदिर बनाने की मांग कर रहे – संजय राउत
आदिल अहमद.
डेस्क। आगामी लोकसभा चुनावों में जिस मुद्दे को लेकर हिंदुत्व का कार्ड खेलने की भाजपा तैयारी में थी वह सुप्रीम कोर्ट ने किनारे धर दिया है। बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई अब तीन माह बाद जनवरी में शुरू होगी। इस आदेश के बाद भाजपा नेताओ में खलबली सी मची हुई है और कई विवादस्पद बयान सामने आ रहे है। इसी क्रम में शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भी विवादस्पद बयान जारी किया है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर मुद्दे की सुनवाई स्थगित करने के फैसले पर नाराजगी जताई और कहा कि उन्होंने कोर्ट से पूछकर ढांचा नहीं गिराया था और न ही पाकिस्तान में मंदिर बनाने की मांग कर रहे हैं।जनसता डाट कॉम के मुताबिक संजय राउत ने कहा, “हमने 25 वर्ष पहले अदालत से पूछ कर ढांचा नहीं गिराया था। हमारे हजारों कारसेवकों ने अदालत से पूछ कर अपनी जान नहीं गंवाई थी। हमने अयोध्या आंदोलन शुरू करने से पहले अदालत की इजाजत नहीं ली थी।”
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग करते हुए शिवसेना सांसद राउत ने कहा, “हम अयोध्या में राम मंदिर चाहते हैं। हम पाकिस्तान या करांची में राम मंदिर बनाने की मांग नहीं कर रहे हैं। हमारी मांग भगवान राम के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की है।” संजय राउत ने यह भी कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जल्द ही अयोध्या का दौरा करेंगे और देशवासियों के समक्ष राम मंदिर पर अपने विचार रखेंगे। बता दें कि सोमवार को शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए स्थगित की। पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ शामिल थे।
ज्ञातव्य हो कि सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह मामला तत्काल सुनवाई वाला नहीं है। सुनवाई विवादित भूमि को लेकर 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले खिलाफ दायर याचिकाओं पर होनी थी। हाईकोर्ट ने विवादिक भूमि को तीन भागों में बांटने का फैसला सुनाया था। 30 सितंबर, 2010 को हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि 2.77 एकड़ जमीन तीन पक्षों राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांट दी जाए। हाईकोर्ट का यह फैसला किसी को स्वीकार नहीं हुआ था और उसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सुनवाई टाले जाने पर साधु समाज नाराज दिखा और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से कहा कि सुनवाई स्थगित होने से सही संदेश नहीं गया।