साहब तीन हज़ार रुपये की रिश्वत मिल जाती, तो क्या जिंदा रहता शिक्षामित्र ?

तबजील अहमद / जीतेन्द्र कुमार

छिबरामऊ (कन्नौज)।

कनौज के छिबरामऊ में तब एक शिक्षामित्र को अपनी जान देनी पड़ी। जब शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों द्वारा वह प्रताड़ित हो रहा था। मामला है शिक्षामित्र पवन कुमार (31) पुत्र गोपीचन्द्र का। जो ग्राम- नगला कायस्थान नौली निवासी है।

पवन प्राथमिक विद्यालय कसिया नन्दपुर में शिक्षामित्र के पद पर तैनात थे। बताया जाता है कि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी। समायोजन रद्द होने के बाद से वो काफी परेशान रहते थे। इसी बीच विभाग द्वारा उनकी ड्यूटी बीएलओ में लगा दी गयी। जिससे पवन काफी परेशान था। पवन के सुसाईड नोट पर लिखी बातो को माने तो उसने बीएलओ ड्यूटी कटवाने की कोशिश की तो उससे 3 हजार रुपये की मांग की गई। पैसे न होने के कारण पवन रिश्वत न दे सका। रिश्वत न देने पर पवन की ड्यूटी बीएलओ से नही हटाई गई। साथ ही साथ अधिकारियों द्वारा पवन को ड्यूटी न करने पर कार्यवाही की चेतावनी व फटकार मिलने लगी। इसी बातों से परेशान होकर पवन एक सुसाइड नोट लिखते हुए फ़ासी पर लटक गया। सुसाइड नोट में पवन ने खण्ड शिक्षाधिकारी समेत 3 अन्य लोगों पर गलत तरीके से बीएलओ की ड्यूटी लगाने व प्रताड़ित करने का आरोप लगाया।

सभी विभागों को देखते हुए अगर शिक्षा विभाग को देखा जाए, तो हम कह सकते है कि शिक्षा विभाग ही एक ऐसा विभाग है जहाँ भ्रष्टाचार नामक राक्षस कम सांस ले पाता है। लेकिन बीते कुछ दिनों पहले समायोजित शिक्षा मित्रों का समायोजन योगी सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया। आपको बता दे कि लगभग 12-14 साल पहले शिक्षामित्रों को मेरिट के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त किया गया था। तब इनका मासिक वेतन मात्र 1800 सौ रुपये था। शिक्षामित्र के चयन में लगभग 1 लाख 47 हज़ार अभ्यर्थियों को नौकरी दी गयी थी। प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार के साथ अखिलेश यादव ने प्रदेश की कमान संभाली तो शिक्षा मित्रों की मेहनत को देखते हुए उन्हें 2 साल का प्रशिक्षण दिलवा सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत किया था।

वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द करने के कारण काफी शिक्षा मित्रों ने अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली। लेकिन प्रदेश सरकार से सिर्फ सांत्वना ही मिलती रही। हाल ही में प्रदेश सरकार ने घोषणा कर शिक्षामित्रों को टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा) पास कर पुनः समायोजित होने को कहा।

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