सुल्तानपुर न.प. अध्यक्ष प्रकरण – नहीं थम रहा विवाद, जारी है आरोप प्रत्यारोप का दौर

हरिशंकर सोनी

सुल्तानपुर नगरपालिका का नवगठित बोर्ड अपनी पहली बोर्ड बैठक के साथ ही विवादों की ओर बढ़ चला जो थमने का नाम नही ले रहा। दर्जन भर सभासद नगर पालिका अध्यक्ष व उनके जिला पंचायत सदस्य पति पर हठधर्मिता, मनमानी पूर्ण रवैया अख्तियार करने, नियम विरुद्ध कार्य करने, भृष्टाचारी, एकाधिकार नीति व नगर पालिका में लूट खसोट करने का गंभीर आरोप मढ़ रहे हैं।

पिछले 10 महीने में कई दर्जन शिकायतें जिलाधिकारी, मंडलायुक्त व शासन से सदस्यों ने की है उसी क्रम में मंगलवार को अनियमितताओं से लबरेज नव सूत्रीय अनियमितताओं का शिकायती पत्र जिलाधिकारी के माध्यम से मंत्री नगर विकास सुरेश खन्ना को भेजा है। जिसमें सभासदों ने नगर पालिका अध्यक्ष व उनके पति पर गंभीर आरोप लगाये हैं। सभासदों का कहना है वर्तमान अध्यक्ष पालिका के दायित्व मार्ग प्रकाश पेयजल सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित ना करते हुए केवल भ्रष्टाचार में लिप्त है जो नियम विरुद्ध ,विधि विरुद्ध, भ्रष्टाचारी नीति से नगरपालिका का लाखों करोड़ों का वित्तीय नुकसान कर रही हैं उनकी कार्यशैली से प्रशासनिक वित्तीय अनियमितताओं की एक लंबी फेहरिस्त तैयार हो गई है जिससे शासन-प्रशासन व पालिका की छवि धूमिल हो रही है । देव तुल्य जनता को घोर असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। जनता त्राहि त्राहि कर रही है दैनिक समाचार पत्रों में भी पालिका की कारगुजारी का उल्लेख नियमित रूप से हो रहा है।

कितने गंभीर है यह आरोप नगर पालिका के सभासदो ने 9 सूत्रीय शिकायतो का उल्लेख किया है जिसमें 6 जनवरी को बुलाई गई पहली बोर्ड बैठक में तानाशाही रवैया अपनाकर बंद कमरे में कार्यवाही पुस्तक लिखकर मांग स्वीकृत करा लिए जाने व 18 सभासदों के विरोध के बावजूद एजेंडा जबरन पास करने, पालिका द्वारा कराए गए स्टांप शुल्क व 14 वित्त के निर्माण कार्य के टेंडर को अवैध रूप से निरस्त कर चहेते ठेकेदारों को उपकृत करने के अनुमानित राशि को बदलने ,नए टेंडर का प्रकाशन बिना बोर्ड की अनुमति के करने का भी आरोप शामिल है।

इसके अतिरिक्त निरस्त टेंडर की फार्म को नियम विरुद्ध जमानत राशि वापिस करने का भी आरोप लगाया गया है । नगर पालिका में प्रयुक्त वाहनों की उचित जगह सर्विस ना करा कर उसके मरम्मत /सर्विसिंग का कार्य अपने चहेते फर्म को देकर लगभग ₹25 लाख मरम्मत का खर्च दिखाए जाने का आरोप लगाया है जो पिछले वर्ष के खर्च से लगभग 8 गुना अधिक है इसके बावजूद नगरपालिका के वाहन आए दिन खराब रहते हैं । बोर्ड की दूसरी बैठक में नीतिगत /वित्तीय मामलों को अन्य विषय में लेकर बिना विधिक बोर्ड प्रक्रिया अपनाएं पूर्व बैठक की तरह तानाशाही रवैया से पास कराने का भी आरोप है ।जिसमें सभासदों ने नगर पालिका के राजस्व में करोड़ों की नुकसान की संभावना व्यक्त की है। इसी बोर्ड बैठक में ठेकेदारों के पंजीयन का अधिकार नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा बंद कमरे में कार्यवाही पुस्तिका/ प्रोसीडिंग बुक लिखकर स्वयम के लिए स्वीकृत करा लिया गया है। नगरपालिका निर्माण विभाग में ठेकेदारों के पंजीयन का संकट खड़ा हो गया जो की नियम विरुद्ध है। जिसके कारण बिना विज्ञापन के ही ठेकों को मैनेज कर नगर पालिका अध्यक्ष के पति अपने चहेते ठेकेदारों के साथ घटिया निर्माण में लिप्त होकर लाखों का खेल कर रहे।

यही नहीं 2018-19 के लिए आउटसोर्सिंग से लेबर सप्लाई हेतु ई टेंडरिंग से निकाली गई निविदा में भी खेल किया गया इसमे 4 फॉर्म ने प्रतिभाग किया जिस फर्म का टेंडर स्वीकृत किया गया उसको अस्वीकृत कर नगरपालिका में दूसरे नंबर की फर्म जो कि नगरपालिका में कार्यरत श्रीमती साधना सिंह के भाई की फार्म है को बिना बोर्ड की अनुमति के मनमाने ढंग से दे दिया गया अनियमितता यहीं नहीं थमी सभासद मनीष जयसवाल के मौखिक प्रस्ताव पर वाहन चालकों को रु. 10 प्रतिदिन की मनमाने ढंग से वृद्धि भी कर ली गई। नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा टैक्सी स्टैंड के अव्यवहारिक शर्तों के साथ निकाले गए ठेके अभी तक स्वीकृत नहीं हो पाये है पालिका कर्मियों द्वारा प्रतिदिन औसत 13,000 की वसूली की जा रही है जबकि 24,000 प्रतिदिन के टेंडर को लाभ के लिए अस्वीकृत कर दिया गया है इसमे पालिका की प्रतिदिन 10 से 12,000 की हानि हो रही है यही नहीं नगर पालिका कर्मियों से वसूली दिखाकर बाहरी लोगों द्वारा लगभग 35 से रु. 40,000 प्रतिदिन की वसूली की जा रही है।

नामांतरण / दाखिल खारिज प्रक्रिया में भी नगर पालिका अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाया गया है ।बीते 29 अगस्त व 13 सितंबर को नगर पालिका अधिनियम 1916 के उपबंध का उल्लंघन कर नामांतरण का अधिकार विधि विरुद्ध तरीके से नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा ले लिया गया है और इसी के सहारे अपने पति के साथ मिलकर प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा किया जा रहा है। इसमें स्टांप चोरी के साथ-साथ राजस्व की भी हानि हो रही है। नगर पालिका द्वारा संचालित वीर अब्दुल हमीद चिकित्सालय को मनमाने ढंग से अपने चहेते रिश्तेदार की संस्था के नाम पर आवंटित कर दिया गया है जबकि विधान परिषद सदस्य शैलेंद्र प्रताप सिंह व विधायक सूर्यभान सिंह द्वारा अपने निधी से अस्पताल के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव दिया गया था।

रिश्तेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचाने की नियत से माननीय का प्रस्ताव अस्वीकृत कर मनमानी की गई है यही नहीं भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए सुरेश खन्ना -मंत्री नगर विकास उत्तर प्रदेश शासन का उद्घाटन का पत्थर दिनांक 16 अगस्त को लगाया जा चुका है। नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों द्वारा बोर्ड फंड की पत्रावली बनाकर फर्जी तरीके से लाखों के कार्य कराए गए हैं। जिसके खर्च का अनुमोदन भी बोर्ड से नहीं कराया गया न ही उसके बावत कोई जानकारी सार्वजनिक की जा रही है। सभासद अमोल बाजपेयी ,सज्जाद खान, सुधीर तिवारी, आजम अली ,डॉ संतोष सिंह, मंजू सिंह ,राजदेव, अजय सिंह व शाहजहां आदि शिकायत कर्ताओ में शामिल हैं

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