नगर में सट्टे का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी
अजीम कुरैशी
नगर नूरपुर में सट्टे का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। इस कारोबार से जुड़े लोग मानते हैं कि नगर में रोजाना लाखो रुपए से ज्यादा रकम की खाईबाड़ी में सट्टा चलाने वालों को भेजी जाती है।
हाल ही में नगर मे बड़े पैमाने पर चल रहे इस रैकेट के करोबारी अपना सट्टे का धंधा नगर में बे खोफ व जोरों पर चल रहा है और इसमें नगर बड़े लोग भी शामिल है जहां इस धंधे में शामिल पुलिस वाले भी खौफजदां हैं नगर में ही नही बल्कि आसपास के छेत्रो में सट्टे की खाईबाड़ी का कारोबार तेजी से पनपा है। इस धंधे के लोग एक रुपए लगाने पर अस्सी रुपए मिलने का ख्वाब दिखाकर गरीब तबके की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं मोटे तौर पर जिले और महानगर में इस धंधे से रोजाना दस-बारह लाख की उगाही होती है, जिसे सट्टाबाज दलालों तक पहुंचाते हैं, वहीं से नंबर खोला जाता है।
सूत्र बताते हैं कि नगर में बड़े दो सफेदपोश सट्टा किंग इसका संचालन करते है पुलिस को इसकी पूरी जानकारी होने पर कुछ नही कर पाती नगर में सट्टे के एक दर्जन से ज्यादा बड़े दलाल हैं, जिनके एजेंट मोहल्लों में फैले हुए हैं। इन्हीं एजेंटों के जरिए मोहल्लों में पर्चियॉ काटी जाती हैं। रात 11 बजे तक सट्टे का नंबर लगाया जाता है। यदि कोई इस धंधे में बड़ी रकम लगाना चाहता है, तो उसके लिए रात 2 बजे तक भी दलालों के दरवाजे खुलेरहते हैं। सट्टे के नंबर को हरफ और दड़ा नाम से जाना जाता है। हरफ में एक रुपया लगाने पर 9 रुपए तथा दड़ा पर सट्टा लगाने से एक के 80 रुपए मिलते हैं। खेलने वालों को यह पता नहीं होता कि सौ लोग नंबर लगाएंगे, तब मुश्किल से किसी एक का ही नंबर आता है। बाकी की धनराशि मारी जाती है।
सूत्र बताते हैं कि सट्टे की धनराशि और हिसाब-किताब दलालों और सट्टा किंगों के माध्यम से रात में ही मुख्यालय पहुंचा दिया जाता है। वहां सबसे कम रकम के नंबर को खोल दिया जाता है। फिर खुलने वाले नंबर की सूचना फोन, फैक्स या अन्य माध्यमों से दलालों को दे दी जाती है, जिसके पास खुलने वाला नंबर होता है, उनका भुगतान कर दिया जाता है
यह धंधा इलाके में कई वर्षों से चल रहा हे जिस थाना क्षेत्र में पुलिस प्रशासन भी इन कारोबारियों से अनिबद्ध हे नगर पुलिस प्रशासन की ढील के चलते कुछ स्थानों पर यह धंधा बेरोकटोक चल रहा है