उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर किया पारण 

कमलेश कुमार

अदरी(मऊ) व्रती महिलाओं ने बुधवार को उदीयमान सूर्य को दूध और गंगाजल का अर्ध्य समर्पित कर छठ महापर्व के व्रत अनुष्ठान को विधिवत संपन्न किया। निर्जल, निराहार व्रत रहते हुए व्रती महिलाओं पूरी रात छठी गीत भजनों करते हुए काटी। महिलाएं तड़के नहा धोकर ब्रहम मुहूर्त में ही पूजन सामग्रियों से भरी दउरी, साड़ियां, गन्ने लिए परिजनों संग घाटो पर पहुच गई।

पूजा सामग्री से भरी और पंचदीपो से सुसज्जित कोरसी लिए व्रती महिलाओं की कतार से उठ रही दियो की लौ से अनुपम छटा प्रस्फुटित हो रही थी। पोखरियो पर पहुँचकर व्रती महिलाएं घण्टो पानी में खड़े रहकर भगवान भाष्कर की आराधना और उनके उदित होने की प्रतीक्षा करती रही। पृथ्वी पर पहुचने वाली प्रथम रश्मियों के साथ ही भगवान भाष्कर को गाय के दूध और गंगाजल से अर्ध्य देकर उन्हे प्रसन्न करने का जतन किया। शिव मंदिर अदरी, कसारा, रईसा, शिव मंदिर अदरी सहित विभिन्न पोखरियो के घाटो पर व्रती महिलाओं और उनके परिजनों की भरी भीड़ रही। व्रती महिलाए पानी में खड़ी रहकर आराधना में तल्लीन रही जबकि उनके साथ की महिलाए, युवतियां घाटो पे चटाई पर बैठकर देवी गीत गाती रही।

सरोवरों के किनारे रंग बिरंगी रोशनी से नहा रहे थे। नगर पंचायत की ओर से पोखरे के किनारे मिट्टी से बराबर कर बैठने योग्य स्थान बनाए गए थे। पोखरों तट पर हजारो व्रती महिलाओं ने अर्ध्य दिया। घाटो से वापस लौटकर व्रतियों ने छठ मईया के अनुष्ठान के कठोर निर्जला व्रत का पारण किया।

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