पल पल बदलते हालात के बीच जाने क्या है हाल अभी अयोध्या में

तारिक खान

लखनऊ. सियासी ज़मीनों की तलाश कहे इसको या फिर आस्था का सैलाब शब्द तो अलग अलग और मतलब अलग अलग ही दिखाई दे रहे है। विश्व हिन्दू परिषद के आवाहन पर अयोध्या में एक बार फिर से हालात बदलते नज़र आ सकते है और 6 दिसंबर 1992 जैसी स्थिति नज़र आ सकती है. ऐसा हम नही कह रहे है बल्कि अलग अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मद्देनज़र कहा जा सकता है

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की रविवार (25 नवंबर) को होने वाली विशाल धर्म सभा से पहले शहर में साल 1992 जैसा माहौल पनप गया है। ‘टीओआई’ की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार (22 नवंबर) को वहां जुलूस निकाले, जिससे इलाके में डर का साया मंडरा गया और लोग सहमे हुए हैं। वे इलाके में हालात बिगड़ने की आशंका में अभी से अतिरिक्त राशन जमा करने लगे। यही कारण है कि शहर में सुरक्षा के इंतजामात भी चाक-चौबंद कर दिए गए हैं।

जगह-जगह सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ), यूपी प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टाबुलरी (पीएसी) और पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के आसपास यथास्थिति का किसी भी हालत में उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा। सुरक्षा के मद्देनजर कितने जवान तैनात किए गए हैं? अधिकारियों ने इससे जुड़े स्पष्ट आंकड़े तो नहीं बताए। पर सूत्रों ने बताया कि विवादित स्थल के भीतरी और बाहरी घेरे में भारी सुरक्षाबल मुस्तैद किया गया है। फैजाबाद के डिविजनल कमिशनर मनोज मिश्रा ने एक अखबार से कहा, “सिर्फ दर्शन करने वालों को ही उस परिसर (जहां रामलला विराजमान हैं) में जाने दिया जाएगा।” पर स्थानीय व्यापारियों को आशंका है कि इस धर्मसभा के जरिए कहीं छह दिसंबर 1992 जैसे हालात न दोबारा पनप जाएंगे।

यही कारण है कि उन्होंने विहिप की इस सभा का विरोध करने का निर्णय किया है। वे महाराष्ट्र से आ रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को काला झंडा भी दिखा सकते है। वहीं, विहिप नेता भोलेंद्र सिंह बोले, “हिंदू-मुस्लिम परिवार डरे-सहमे हैं। वे इसी के चलते अभी से अतिरिक्त राशन जुटा रहे हैं।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भले ही शहर में धारा 144 लागू हो, मगर वह विहिप को गुरुवार को जुलूस करने से रोक न सकी। यह जुलूस बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने निकाला था, जो जुलूस के दौरान जोर-जोर से ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे लगा रहे थे। यह जुलूस मुस्लिम बहुल इलाकों से होते हुए निकला था।

यह जुलूस मुस्लिम बहुल इलाकों से होते हुए निकला था। पार्षद हाजी असद ने इस बारे में बताया कि कुछ मुसलमानों ने तो मौजूदा माहौल के बीच पनपे डर के मारे इलाका ही छोड़ दिया है, जबकि कमिश्नर का कहना था कि जिला प्रशासन मुस्लिम बहुल इलाकों पर खासतौर पर निगहबानी कर रहा है और वहां सुरक्षा के पर्याप्त इंतजामात हैं।

क्या होने वाला है 25 नवंबर को?:

राम मंदिर निर्माण के लिए प्रभु श्री राम की नगरी में विहिप ने धर्म संसद बुलाई है, जिसकी तैयारियां कई दिनों से की जा रही थीं। विहिप ने संभावना जताई है कि यह बेहद विशाल धर्म सभा होगी और इसमें एक लाख से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे। शिवसेना प्रमुख भी 25 नवंबर को अयोध्या पहुंच सकते हैं। इसी बीच आस पास के शहरों के लोग भी वहा इकठ्ठा हो चुके है। समाचार लिखे जाने तक सुल्तानपुर, फैजाबाद, मऊ आदि निकटवर्ती क्षेत्रो के कार्यकर्ताओ का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है। सुरक्षा के मद्देनज़र वैसे तो प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखा है मगर संभावित भीड़ को देखते हुवे इस व्यवस्था को कम ही आँका जा रहा है। वही दुसरे तरफ शिवसैनिको का बड़ा जमावड़ा दिखाई दे रहा है जो किसी घटना दुर्घटना से मुह नही मोड़ने के लिये सोचने पर मजबूर कर रहा है। सूत्र बताते है कि मौके पर हज़ारो की संख्या में शिवसैनिको ने अपना जमावड़ा लगा लिया है और कल होने वाली रैली उद्धव के सभा की तैयारी कर रहे है।

बड़ा सवाल 

फोटो आप उस जगह का देख रहे है जहा पर उद्धव की प्रस्तावित सभा होनी है। अब प्रश्न यह उठता है कि जब शहर में धारा 144 लगी है तो फिर किस प्रकार से इतना बड़ा मंच लगा कर उद्धव को यहाँ शब्दों के बाण छोड़ने के लिए अनुमति दे दिया गया। क्या स्थानीय प्रशासन 1992 भूल चूका है जब इसी तरह एक मंच लगा था और फिर जो हुआ उसका खामियाजा पुरे देश को दंगे की आग में जलकर भुगतना पड़ा था। क्या स्थानीय जनता भूल चुकी है कि यही शिवसेना महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश वासियों से कैसे बर्ताव करके निकालने की बात करती है।

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