दिल्ली सहारनपुर रोड बना अवैध पार्किंग, पुलिस प्रशासन दिखा बेबस
सरताज खान
गाजियाबाद। लोनी क्षेत्र में स्थित ग्राम पाभी सादकपुर के सामने दिल्ली-सहारनपुर हाइवे के एक ओर खड़े टट्टू ठेले व अन्य वाहन चालको ने इस कदर कब्जा बना रखा है मानो वह उनकी अपनी खरीदी हुई जमीन हो। यही कारण है कि उक्त राज्य मार्ग कई किलोमीटर दूरी तक वनवे बनकर रह गया है। अति व्यस्त रहने वाले इस मार्ग पर वाहन चालकों द्वारा किए गए उक्त कब्जे के मामले में संबंधित विभाग द्वारा भी कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई जाने से जहां आवागमन पूरी तरह प्रभावित है, वही दुर्घटनाएं होना भी आम बात बनी हुई है।
दिल्ली-गंगोत्री नाम से पहचान रखने वाले वाले उक्त राज्य मार्ग पर ग्राम पाभी, खजूरी पुस्ता से ट्रोनिका सिटी औद्योगिक क्षेत्र तक मार्ग के एक और बड़ी संख्या में खड़े रहने वाले इन टर्को व अन्य वाहनों को को देखकर लगता है मानो वह स्थान उनके स्वामियों की अपनी निजी संपत्ति हो या उसे उनकी पार्किंग के लिए छोड़ा गया हो। जिन्हें मार्ग पर आवागमन में हो रही बाधा या वहां आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। जिनका सिंडिकेट इस कदर हावी है कि यदि कोई उनका विरोध करता है तो वह उनके साथ गाली-गलौज व मारपीट पर उतारू हो जाते हैं और इस मामले में वह पुलिस-प्रशासन पर भी भारी पडते हुए नजर आते हैं।
दुर्घटनाओं में हो चुकी कई की मौत
मार्ग अवरुद्ध का कारण बने उक्त वाहन चालकों की वर्षों से चली आ रही इस गुंडागर्दी व मनमानी पर संबंधित विभाग द्वारा कोई लगाम नहीं कसे जाने का ही नतीजा है कि यहां खड़े इन वाहनों की संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा ही होता जा रहा है। जबकि गैर कानूनी रूप से खड़े इन वाहनों के कारण मार्ग के एक ओर का रास्ता पूरी तरह ठप है। और वाहन चालको को मजबूरीवश अत्यंत व्यस्त रहने वाले इस मार्ग के एक ओर से ही आना-जाना पड़ रहा है। जिसके कारण वहां दुर्घटनाएं होना आम बात बनी हुई है जो अबतक कई लोगों को लील चुकी है।
संबंधित विभाग दिख रहा लाचार
उक्त राष्ट्रीय राजमार्ग के एक ओर की सड़क पर कई किलोमीटर तक अपना कब्जा बनाए बैठे ट्रक व अन्य वाहन चालकों/स्वामियों की नागरिकों द्वारा अनेक बार मौखिक व लिखित शिकायत की जा चुकी है। मगर न जाने क्यों..? आजतक उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई जा सकी है। हालांकि कुछ माह पूर्व तत्कालीन एसडीएम ने मामले में कई शिकायत मिलने पर उनके विरुद्ध कार्यवाही करते हुए ऐसे कई वाहनों को सीज कर दिया था। मगर “ऊंट के मुंह में जीरा” वाली कहावत को चरितार्थ करने वाली उनकी उक्त कार्रवाई का अतिक्रमणकारियों पर कोई फर्क पड़ता नजर नहीं आया और मार्ग पर आजतक उनका कब्जा ज्यों का त्यों बना हुआ है। संदर्भ में क्षेत्रवासी भी इस बात से हैरान है कि आखिर संबंधित विभाग की ऐसी क्या मजबूरी है जो वह इस मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कराने में लाचार नजर आ रहा है।
उक्त संदर्भ में क्षेत्रवासियों द्वारा जहां पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई जा रही है वहीं इस मामले में वह जनप्रतिनिधियों को भी कोसते हुए नजर आए। जिनका साफ कहना है कि संबंधित अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो इस पहाड़ जैसी मुसीबत को जानते हुए भी वह इसका कोई समाधान कराने की बजाय इस ओर से अंजान बने बैठे हैं।