मन्दिर के नाम पर सिर्फ सनातनी जनता को बेवकूफ बनाने की प्रक्रिया चल रही है – स्वामी स्वरूपानन्द
अनुपम राज
वाराणसी। अयोध्या में राम मन्दिर था और आगे भी वहाॅ राम मन्दिर ही रहेगा, उक्त उद्गार धर्माधीश ज्योतिष एवं शारदा द्वारिका पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने काशी में आयोजित परम धर्म संसद के प्रथम दिन आयोजित संत सम्मेलन में व्यक्त किये।
स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि मन्दिर के अभी तक नही बन पाने की सबसे बड़ी वजह राजनीतिक खींचतान है। उन्होंने कहा कि जब सरकार संविधान की शपथ लेती है तो वह धर्म निरपेक्ष हो जाती है, वह किसी धर्म विशेष का पक्ष नही ले सकती। राम मन्दिर सनातन धर्म से जुड़ा विषय है, इसलिए धर्म निरपेक्ष सरकार से राममन्दिर के लिए कुछ उम्मीद नही किया जा सकता। मन्दिर के नाम पर सिर्फ सनातनी जनता को बेवकूफ बनाने की प्रक्रिया चल रही है। मन्दिर का निर्माण सिर्फ हम और संत महात्मा ही कर सकते है।
उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर काशी में मन्दिरों में हो रही तोड़फोड़ उचित नही है। भारत पूरी दूनिया में आज भी शीर्षस्थ है क्योंकि भारत की सभ्यता और संस्कृति सबसे प्राचीन है। भारत के धर्मशास्त्रों का लाभ पूरा विश्व लेता है, इसकी सबसे बड़ी वजह वेदो की परम्परा का अनुकरण।
उन्होंने गंगा सफाई पर जोर देते हुए कहा कि जीवनदायिनी गंगा आज आचमन योग्य भी नही रह गयी है जो चिन्ता का विषय है। गंगा पहले भी पवित्र थी और आज भी बस आवश्यकता है उसे अविरल करने की। उन्होंने कहा कि आज देश दुनिया में गौमांस के निर्यातक के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है, जो सनातन धर्म के लिए उचित नही है। उन्होंने कहा कि सरकार आज मठ मन्दिरों पर नियंत्रण करने की तैयारी में लगी है, जिसमें वह मन्दिरों का हिसाब किताब रखना शुरू कर रही है सन्तों से हिसाब भ्रष्ट नेता व अधिकारी लेंगे इससे दुर्भाग्यपूर्ण विषय क्या हो सकता है