हमारी सरकार न बने इसलिये दिल्ली के इशारे पर भंग हुई विधानसभा – फारुख अब्दुल्लाह

आफताब फारुकी

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर की विधान सभा भंग करने के राज्यपाल के फैसले पर विपक्ष द्वारा लगातार राज्यपाल की भूमिका पर शक किया जा रहा है। इस दौरान राज्यपाल के निर्णय पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला  ने पिछले दिनों राज्य में हुए सियासी उठापटक पर कहा कि बहुमत असेंबली में देखा जाना चाहिए न कि राजभवन में। राज्यपाल को असेंबली बुलानी चाहिए, जहां कोई दिखा सकता है कि उसके पास बहुमत है या नहीं। असेंबली ही सुप्रीम है।

एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में चर्चा के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 5 महीनों से राज्यपाल शासन था। हम लोग उनसे (राज्यपाल से) बार-बार कह रहे थे कि असेंबली भंग कर दीजिये, ताकि हम जनता के पास जाएं। 5 महीने वो इंतजार करते रहे कि हो सकता है कि बीजेपी सज्जाद लोन के साथ बहुमत हासिल कर ले। लोगों को खरीद ले। चाहे वो कांग्रेस के हों, पीडीपी के या फिर नेशनल कांफ्रेंस के, लेकिन यह नहीं हो सका। जब इन्होंने देखा कि राज्य में एक हुकुमत बनने वाली है जिसमें बीजेपी नहीं होगी, तो दिल्ली से एक आदेश आया और असेंबली भंग कर दी।

डॉ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि गवर्नर का पद सवालों के घेरे में रहा है। यह पहली बार नहीं हुआ है। ऐसे में यह सोचना पड़ेगा कि गवर्नर को गुलाम नहीं बनना पड़े। भविष्य में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी में गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह हम तय नहीं कर सकते हैं। इसके लिए कार्यकर्ताओं से पूछना पड़ता है। किसी एक का निर्णय नहीं होता है।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मुसलमान पर सवाल उठाना बहुत आसान हो गया है कि वह एंटी नेशनल है, पाकिस्तानी है। कब वक्त आएगा कि जब यहां के लोग समझेंगे कि मुसलमान हिंदुस्तानी हैं, पाकिस्तानी नहीं। यह आरोप लगाना बहुत आसान है। पंचायत चुनावों में बायकॉट के मसले पर उन्होंने कहा कि तमाम आरोप बेबुनियाद हैं। किसी के इशारे पर बायकॉट नहीं किया, बल्कि आर्टिकल 35ए और 370 पर तमाम सवालों के जवाब न मिलने पर ऐसा किया।

डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि जो चीज सही है वह लोगों के सामने रखनी चाहिए। जैसे मैं कहता हूं कि कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के पास है उसे हम नहीं ले सकते हैं और जो हिस्सा हमारे पास है वह पाकिस्तान नहीं ले सकता है। 70 सालों में 4 जंगें हुईं, लेकिन क्या हमने वो हिस्सा ले लिया। यही हाल उनका भी है। मर कौन रहा है।।।कश्मीरी यहां भी मर रहा है और वहां भी। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि गांधी और नेहरू कहते थे कि हिंदुस्तान सबका है। वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी का बराबर है। अब फर्क हो गया है। चुनाव जीतने के लिए हिंदू और मुसलमान को बांटा जा रहा है। यह हमारे लिए बहुत खतरनाक है।

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