सुरक्षा बलो और भारत सरकार के खिलाफ मुहीम छेड़ने की तैयारी में था येल्गार परिषद

अनीला आज़मी

पुणे: यलगार परिषद के नाम से अचानक अस्तित्व में आये एक नए देशद्रोही संगठन का पुणे पुलिस ने खुलासा किया है. इस यलगार परिषद को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है। परिषद के आयोजन में गिरफ्तार आरोपियों की योजना पूर्वोत्तर और कश्मीर युवाओं को साथ जोड़कर भारत सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ मुहिम छेड़ने की थी। इसके लिए उन्हें खुला समर्थन देने को तैयार थे। पुणे सत्र न्यायालय में दिए 31 पन्नो की रिपोर्ट में पुणे पुलिस ने इस बात का खुलासा किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिबंधित माओवादी संगठन की इस रणनीति के तहत देश के दलित, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यकों को जोड़कर अपने लक्ष्य को पाना था। मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस ने अब बाद में गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की है। इसके लिए तमाम तथ्यों को सामने रखा है।

रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि आरोपियों, खासकर सुरेंद्र गडलिंग और रोना विल्सन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिले पत्रों से पता चलता है कि सीपीआई (माओवादी)  के निर्देश पर आईएपीएल और  सीआरपीपी का इस्तेमाल फ्रंटल संगठन के तौर पर हो रहा था। रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि अरुण फरेरा, वरनॉन गोंसाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवरा राव  भूमिगत नक्सलियों के पास कैडर भेजते थे और मीटिंग भी अरेंज करवाते थे। चारों ऐसे सेमिनार और लेक्चर का आयोजन करने में शामिल रहते थे जिसमें भूमिगत नक्सली भी हिस्सा लेते थे।

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