भाजपा को चार सालो में नही याद आये रामलला, चुनाव आते फिर याद आ गये – कपिल सिब्बल
आदिल अहमद
नई दिल्ली: राम मंदिर मुद्दा एक बार फिर से राजनितिक फिजाओं में है। आरोप प्रत्यारोप के दौर चल पड़े है, इस बीच एक खबरिया टीवी चैनल में बातचीत के दौरान सिब्बल पीएम मोदी के उन आरोपों पर अपना जवाब दिया, जिसमें पीएम ने कहा था कि कांग्रेस अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में देरी की कोशिश कर रही है। सिब्बल ने कहा, ‘हम पीएम से पूछना चाहते हैं कि क्या कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट में किसी सुनवाई को रोक सकती है? यह सुप्रीम कोर्ट के प्रति मानहानि का मामला है।
उन्होंने कहा कि क्या भाजपा ये कहना चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट किसी के राजनीतिक दबाव में आ सकती है? ये शर्मनाक बात है। पीएम को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के अलवर में एक चुनावी सभा में ये दावा किया, अब उन्होंने नया खेल खेला है। आप जानते हैं जब ये अयोध्या का केस चल रहा था, कांग्रेस के नेता राज्यसभा के सदस्य, सुप्रीम कोर्ट को कह रहे हैं कि 2019 तक केस मत चलाओ क्योंकि 2019 में चुनाव है।
जिस समय अयोध्या में साधु-संत राम मंदिर की तारीख तय करने की बात कर रहे थे, उस समय प्रधानमंत्री अलवर में राम मंदिर के विरोधियों की शिनाख्त कर रहे थे- ये बताते हुए कि इन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक पर दबाव बनाया। पीएम मोदी ने कहा, अयोध्या जैसे गंभीर संवेदनशील मसलों में, सुप्रीम कोर्ट अगर संवेदनशीलता के साथ देश को न्याय दिलाने की दिशा में सब को सुनना चाहती है तो उसमें रोड़े अटकाने के लिए जब कोर्ट में फेल हो जाते हैं तो ये सुप्रीम कोर्ट के वकील कांग्रेस में बैठे हैं, वे सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ महाभियोग लाकर उनको डराने धमकाने का नया खेल शुरू किया है।
सिब्बल ने कहा, “डरा कौन रहा है? वीएचपी क्या कर रही है अयोध्या में? भय का माहौल बनाया जा रहा है जिससे पीएम को यहां राजनीतिक फायदा मिल सके। पीएम घबराए हुए हैं। 2014, 2015, 2016 और 2017 में उन्हें रामलला याद नहीं आए। अब 2018 में चुनाव की वजह से रामलला याद आ गए। बताते चले की अयोध्या मुद्दे पर पीएम मोदी और कांग्रेस नेताओं के बीच वाद-विवाद से साफ है कि ये मुद्दा कोर्ट के फैसले से कहीं ज़्यादा अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का बन गया है। बीजेपी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस राम मंदिर के खिलाफ है। जबकि कांग्रेस की दलील है कि बीजेपी के लिए ये महज़ एक चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है।
साभार – समस्त इनपुट एनडीटीवी