बीटीसी अभ्यर्थियों की भर्ती को लेकर विधानसभा का घेराव, पुलिस की बर्बर लाठीचार्ज, कई लोग हुए घायल और बेहोश
शाहरुख खान
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर कट ऑफ लिस्ट से हटाये जाने का मामला तूल पकड़ गया है। दरअसल शुक्रवार को अभ्यर्थियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जानकारी के मुताबिक अभ्यर्थियों का गुस्सा चरम पर है और सभी ने मिलकर विधानसभा का घेराव किया है। मामला कुछ ज्यादा बढ़ जाने के बाद आनन-फानन में मौके पर पुलिस पहुंच गई। जानकारी के मुताबिक अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच जमकर बवाल हुआ है और जबदरस्त हंगामे के बीच पुलिस ने लाठी बरसाई है।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज करके अभियार्थी को भगाया है। इस दौरान कई सहायक अभियार्थी घायल हो गए और कर्ई मौके पर ही बेहोश हो गए है। उधर प्रशासन की और टीम मौके पर पहुंच गई और मामले को शांत कराया जा रहा है। मौके पर भारी सख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है। खबरों के मुताबिक बवाल इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोगों ने लोहे का डिवांडर तोडक़र एक दूसरे हमले बोल दिया। इस दौरान कई अभ्यर्थियों का सर फट गया और उन्हें उपचार के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मर्ई माह में नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर राजधानी में सैकड़ों अभ्यर्थियों ने बुधवार की सुबह बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल के आवास का घेराव कर दिया था और जमकर नारेबाजी की थी। जैसे ही घेराव की सूचना पुलिस को लगी पुलिस ने सभी अभ्यर्थियों को समझा बुझा कर आवास से हटा दिया। उसके बाद अभ्यर्थियों ने अनुपमा जयसवाल के आवास से हटकर निशांतगंज स्थित एससीईआरटी कार्यालय का घेराव किया। अभ्यर्थी संध्या पाण्डेय ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी अनदेखी अनदेखी कर रही है ।
बताते चले कि यह मामला 12,460 बेसिक शिक्षक की भर्ती प्रक्रिया का है । सूबे के 75 जिलों में से 51 जिलों में सरकार ने भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले थे जिसमें सरकार ने गैर शून्य जनपद के अभ्यर्थियों को भी अप्लाई करने का मौका दिया था । प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का आरोप है की जिस जिले से उन्होंने अप्लाई किया था । सारी अह्र्ता पूरी होने के बावजूद उन्हें नियुक्ति पत्र नही दिया जा रहा है।
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया की कुछ लोगों ने कोर्ट चले गए। जिस कारण हम लोगों को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया । अभ्यर्थी रोहित मिश्रा का कहना है कि कोर्ट ने कहा है कि नियोक्ता चाहे तो कोर्ट की अनुमति लेकर नियुक्ति दे सकता है लेकिन सरकार उनकी अनदेखी कर रही है।