किसान यूनियन ने गन्ना किसानो की समस्याओ के लिये सौपा ज्ञापन
फारुख हुसैन
मितौली खीरी। हरगांव गन्ना सहकारी समिति से सम्बद्ध कस्ता क्षेत्र बरूई ए तथा बरूई बी गन्ना क्रय केंद्र डीएससीएल शुगर मिल अजबापुर को गन्ना आपूर्ति की जाती रही है । वर्तमान नई गन्ना सट्टा नीति के तहत बरूई बी गन्ना क्रय केंद्र के काफी किसानों के कैलेंडर तथा पर्चियां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं । किसानों में रोष व्याप्त है । जबकि गत दिवस लोकतांत्रिक किसान यूनियन के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष श्यामू शुक्ला तथा मितौली तहसील अध्यक्ष रवि तिवारी द्वारा गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर गन्ना सहकारी समिति हरगांव के सचिव को ज्ञापन दिया गया।
ज्ञात हो कि कस्ता कस्बे के किसान सुरेश चंद्र पुत्र बनवारी लाल कृषक कोड 66 तथा रमेश चंद्र पुत्र बनवारी लाल का कृषक कोड 41 है ,इन किसानों की अभी कस्ता हरगांव गन्ना सहकारी समिति से संबंध कस्ता क्षेत्र बरूई ए तथा बरूई बी गन्ना क्रय केंद्र डीएससीएल शुगर मिल अजबापुर को गन्ना आपूर्ति की जाती रही है वर्तमान नई गन्ना सट्टा नीति के तहत बरूई बी गन्ना क्रय केंद्र के काफी किसानों के कैलेंडर तथा प्रतियां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं
अभी तक न तो किसानों की एक भी पर्ची नहीं आई है पेडी गन्ने की अधिकता होने के कारण किसान अपने खेतों में गेहूं बुवाई के लिए प्राइवेट गुड़ उद्योगों पर ओने पौने दामों पर अपना गन्ना बेचने को विवश है भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किसानों की फर्जी सट्टा को बंद करने के उद्देश्य से नई व्यवस्था का शुभारंभ समितियों के माध्यम से किया जाना था समिति कर्मचारियों की मनमानी के कारण किसानों का सही तरीके से सर्वे ही नहीं किया गया किसान काफी चिंतित है गन्ना माफियाओं की तोपची आ रही है किंतु वास्तविक किसान गन्ना पर्ची पाने से वंचित हैं जो कि जांच का विषय है कोई भी गन्ना विभागीय अधिकारी किसानों की समस्या को देखने वाला नहीं है किसान यूनियन द्वारा गन्ना किसानों की समस्याओं के लिए ज्ञापन दिया गया है
अब देखना है कि कितना गन्ना विभागीय कर्मचारी किसानों की समस्याओं के लिए कितने संवेदनशील हैं एक भी पर्ची नहीं आई है।पेडी गन्ने की अधिकता होने के कारण किसान अपने खेतों में गेहूं बुवाई के लिए प्राइवेट गुड़ उद्योगों पर ओने पौने दामों पर अपना गन्ना बेचने को विवश है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किसानों की फर्जी सट्टा को बंद करने के उद्देश्य से नई व्यवस्था का शुभारंभ समितियों के माध्यम से किया जाना था समिति कर्मचारियों की मनमानी के कारण किसानों का सही तरीके से सर्वे ही नहीं किया गया।किसान काफी चिंतित हैं।गन्ना माफियाओं की पर्चियां आ रही है किंतु वास्तविक किसान गन्ना पर्ची पाने से वंचित हैं। जो कि जांच का विषय है ।कोई भी गन्ना विभागीय अधिकारी किसानों की समस्या को देखने वाला नहीं है।