तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – लो कर लो अब बात, अब भाजपा एमएलसी ने कहा कि हनुमान जी मुसलमान थे।

तारिक आज़मी

हम कहते है कि राजनीती उसको कहते है जिसकी कोई निति ही न हो मगर हमारे काका है कि मानने को तैयार ही नही होते है। अब देख ले आप खुद। पहले तो ये हो रहा था कि हनुमान जी दलित थे। फिर एक नेता जी ने कहा कि नही हनुमान जी जाट थे। इन सबसे आगे जाते हुवे लखनऊ के चर्चित हस्ती और अपने बयानों से हमेशा सुर्खिया बटोरने वाले बुक्कल नवाब ने अब हनुमान जी का मज़हब भी बयान कर दिया है और कहा है कि हमारे हिसाब से हनुमान जी मुसलमान थे। यानि अब हनुमान जी के नाम को प्रयोग करके बुक्कल नवाब मुसलमानों के वोट बैंक पर भी नज़र दौड़ा रहे है।

वैसे तो आम चर्चाओ में बुक्कल नवाब को श्रीमान दलबदलू भी कहा जा सकता है। कभी सपा के पैरोकार रहे बुक्कल नवाब ने सपा छोड़ कर भाजपा को ज्वाइन कर लिया और विधान परिषद की सीट भी हासिल कर डाली। वैसे बुक्कल नवाब लखनऊ के नवाब परिवारों से आते है। उनके पिता का नाम दारा नवाब था। बुक्कल नवाब ने सपा 1992 में ज्वाइन किया था। कभी मुलायम सिंह के काफी करीबी रहे बुक्कल नवाब दो बार विधान सभा चुनाव भी लडे मगर कभी जीत हासिल नही कर पाए। 2016 में उनके बयान के बाद उनको सपा छोड़ना पड़ा था जब उन्होंने कहा था कि मैं राम मंदिर के लिये दस लाख रुपया चन्दा दूंगा। उस समय भी बुक्कल नवाब का बयान चर्चा का विषय बना था। इसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी और 29 जुलाई 2017 को सपा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने 31 जुलाई को भाजपा की सदस्यता ग्रहण किया। जानकार बताते है कि बुक्कल नवाब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफी करीबी है।

देखे क्या कहा है बुक्कल नवाब ने

इस बार उन्होंने हनुमान जी का धर्म बता कर दुबारा चर्चा का खुद को केंद्र बिंदु बनाया है। उन्होंने इसकी बाकायदा परिभाषा देते हुवे कहा कि रहमान, सुलेमान, इरफ़ान, जीशन जैसे नाम मुसलमानों में होते है तो इस हिसाब से हनुमान मुसलमान थे। यह बयां उन्होंने बृहस्पतिवार को जारी किया था और इस बयान के बाद से उनको सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया। वही विपक्ष ने भी उन्हें खूब आड़े हाथो लिया है। बुक्कल नवाब के इस बयान के बाद अभी तक भाजपा के तरफ से कोई बयान नही आया है।

वही इस विवादित टिप्पणी की देवबंद के उलेमाओं ने निंदा की है। दारुल उलूम की ओर से कहा गया है कि जिस बात का कोई प्रमाण न हो उसके बारे में बात नहीं की जानी चाहिए। दारूल उलूम के ऑनलाइन फतवा प्रभारी मुफ्ती अरशह फारूकी ने कहा, ‘बिना किसी जानकारी के कोई बात नहीं कहनी चाहिए और किसी बात को कहने से पहले पढ़ना और उसकी तहकीकात जरूरी होती है। मामले में देवबंद के उलेमा कारी इसहाक गोरा ने कहाकि किसी भी इस्लामिक  किताब में यह नहीं लिखा है कि हनुमान जी मुसलमान थे। जिस बात का कोई प्रमाण न हो उस बारे मे बुक्कल नबाव को बात नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग शोहरत बटोरने के लिए बयानबाजी करते हैं। बुक्कल को हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से अपने इस बयान के लिये माफी मांगनी चाहिए। वहीं सरकार को चाहिए कि ऐसे बेतुके बयान देने वालो पर अंकुश लगाए।

अब अगर सोशल मीडिया पर उड़ाई जा रही बुक्कल नवाब की तफरी को देखे तो सोशल मीडिया पर हर तरफ उनके इस बयान पर मज़ाक ही बनाया जा रहा है। अब भाई हमको अगर कुछ कहना होगा तो सिर्फ इतना ही कहेगे कि अभी हनुमान जी के प्रसाद को बुक्कल नवाब जी ग्रहण किये है। अब अगर कही हनुमान जी ने तबर्रुक तकसीम कर दिया तो क्या होगा ये सोचने वाली बात है। वह भी अगर लखनऊ में यह तबर्रुक कही बड़े मंगल को तकसीम हुआ तो शायद रखने की जगह नही रहेगी। इसीलिये कहते है कि राजनीती में तो भैया कोई निति नही होती मगर ज़बान पर तो कंट्रोल किया जा सकता है।

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