तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – लो अब और कर लो बात, अब नेता जी बोले हनुमान जी पहलवान थे, कुश्ती लड़ते थे
तारिक आज़मी
हम बार बार काका से कहते है मगर काका है कि मानते ही नही है। हम तो कहा कि काका देखो राजनीती में कोई निति नही होती है। वोट जिससे साध लिया जाए बस वही निति होती है। मगर काका है हमारे कि मानते ही नही है। अब देख लो कोई हनुमान जी को दलित बता रहा है तो कोई जाट, सबसे आगे निकलते हुवे बदलू प्रकृति के बुक्कल नवाब निकले और उन्होंने कहा कि हनुमान सही में अगर देखा जाए तो मुसलमान थे। अब बताओ काका कि हनुमान जी अभी तो प्रसाद दिये रहे अब अगर कही हनुमान जी ने तबर्रुक तकसीम किया तो नवाब साहब कहा रखेगे ताबर्रुख को। इससे ज्यादा थोडा देखे तो पहले दलित वोट साधने की बात रही, उसके बाद हुआ जाट वोट साधने की बात इन सबसे दो कदम आगे निकले बुक्कल नवाब ने मुस्लिम वोट साधने का प्रयास किया। अब नया शगूफा सुन ले। अब एक और भाजपा मंत्री ने हनुमान जी को खिलाड़ी बताया है और कहा है कि हनुमान जी खिलाड़ी थे और कुश्ती लड़ते थे।
मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान का हनुमान जी पर बयान आया है, हालांकि उन्होंने उनकी जाति नहीं बताई है। चौहान ने कहा, ‘भगवान की कोई जाति नहीं होती। मैं उनको जाति में नहीं बांधना चाहता।’ उन्होंने हनुमान को खिलाड़ी बताया है। चेतन चौहान ने कहा, ‘हनुमान जी कुश्ती लड़ते थे, खिलाड़ी भी थे, जितने भी पहलवान लोग हैं, उनकी पूजा करते हैं, मैं उनको वही मानता हूं, हमारे ईष्ट हैं, भगवान की कोई जाति नहीं होता। मैं उनको जाति में नहीं बांधना चाहता।
बताते चले कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दलित बताए जाने के बाद हनुमान की जाति को लेकर शुरू हुआ सिलसिला लगातार जारी है। हाल ही में भाजपा के ही एमएलसी बुक्कल नवाब ने कहा कि हमारा मानना है कि भगवान हनुमान मुसलमान थे। उनके अलावा यूपी सरकार में एक अन्य मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का कहना है कि उन्हें लगता है कि हनुमान जी जाट थे क्योंकि उनका स्वभाव इस समुदाय से मिलता है। वहीं केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा है कि हनुमान जी आर्य थे, उस समय कोई और जाति नहीं थी, हनुमान जी आर्य जाति के महापुरुष थे। भगवान राम और हनुमान जी के युग में इस देश में कोई जाति व्यवस्था नहीं थी, कोई दलित, वंचित, शोषित नहीं था। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस को अगर आप अगर पढ़ेंगे तो आपको मालूम चलेगा कि उस समय कोई जाति व्यवस्था नहीं थी।
इस सब राजनितिक बयानबाजी को देख कर लगता है कि वर्त्तमान नेता लोग हनुमान जी का कास्ट सर्टिफिकेट बना कर ही मानेगे। वैसे भी आपके कार्यो की कोई समीक्षा करे तो उसको किसी अलग बेमतलब के मुद्दों में उलझा दिया जाये ये सबसे बेहतर निति होती है। प्रदेश में कानून व्यवस्था के नाम पर उड़ रही धज्जियो के बीच हम कानून व्यवस्था पर सवाल न खड़ा करे इसके लिये बयानबाजी जारी करते रहे। ये भी राजनीती की एक निति हो सकती है। जो भी हो मगर इस प्रकार किसी आराध्य के सम्बन्ध में लगातार बयानबाजी करना आस्था को ठेस पहुचाता है।