कैसे संवरे बेसहारा बच्चो का भविष्य

प्रदीप दुबे विक्की

ज्ञांनपुर(भदोही). जनपद भदोही की कई प्रमुख बाजारों में जिस तरह बचपन सड़कों पर भीख मांगता नजर आता है। इससे यह बात तो साफ हो जाती है कि बेशक केंद्र व प्रदेश सरकार बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत उच्च शिक्षा देने की बात बेमानी करती है। भदोही जनपद के ज्ञानपुर नगर में आपको यह बचपन भीख मांगता वह गंदे कपड़ों में अपनी बूढ़ी दादी के साथ इधर उधर चक्कर लगाता भीख मांगता नजर आ रहा है। वहीं जिला प्रशासन कहता है कि बच्चों का रेस्क्यू किया जाता है । और उनको एनजीए के हवाले कर देखरेख करने के लिए सौंप दिया जाता है।

बता दें कि बाजारों की सड़कों पर अनाथ और बेसहारा बच्चे भीख मांगते अक्सर दिख जाते हैं। गाड़ियों के बंद शीशों के सामने जब ये बच्चे हाथ फैलाए खड़े होते हैं तो बहुतों का दिल पसीज जाता है, पर दो-एक रुपया इनके हाथ में डाल देने के बाद हम इनकी चिंता से खुद को पूरी तरह मुक्त मान लेते हैं। सवाल है कि आखिर ये बच्चे कौन हैं, इनका क्या अतीत और कैसा भविष्य है।इनमें से अधिकांश का अपना कोई ठौर-ठिकाना नहीं होता, अपनी कोई पहचान भी नहीं होती। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में ऐसे बच्चों की संख्या लाखों से ऊपर है। अधिकांश इनमें वे बच्चे हैं जिन्होंने परिवार की टूटन अथवा मां-बाप की प्रताड़ना के कारण घर छोड़ दिया। बाकी गरीब व अनाथ हैं। ये बच्चे या तो सड़कों पर ही रात गुजारते हैं अथवा रेलवे प्लेटफॉर्म को अपना घर बनाते हैं।

इन नाबालिग किशोरों का अपना परिवार न होने के कारण इनकी परवरिश दोषपूर्ण होती है। सामाजिक ज्ञान शून्य होने के कारण ये बच्चे अच्छे और बुरे के बीच अंतर नहीं कर पाते। देखने में आ रहा है कि आज शातिर अपराधी ऐसे ही बच्चों को अपनी शरण में लेकर पहले उन्हें नशेड़ी बनाते हैं, फिर उनसे नशीले पदार्थों की तस्करी अथवा अन्य अपराध करते हैं।खास बात यह कि इनमें लड़कियां भी अच्छी-खासी संख्या में शामिल हैं।

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