भोपाल – फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने के प्रकरण में आरोपी हिरासत में
अनुपम राज
भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से पिछली सरकार के फैसलों पर उंगलिया उठना शुरू हो चुकी है. मामला भेल में फर्जी डिग्री के बल पर नौकरी पाने वालो के खिलाफ अब सरकार सख्त होती जा रही है.फर्जी डिग्री के आधार पर एक्सजीक्यूटिव बनने के आरोप में साजी सैम्युअल एक्सजीक्यूटिव ग्रेड 2 को भोपाल अदालत ने कल मंगलवार देर शाम जेल भेज दिया। इससे पहले गोविंदपुरा पुलिस ने साजी सैम्युअल को हथकड़ी लगाकर जेएमएफसी प्रकाश दामोर की कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने साजी सैम्युअल को आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (किसी दस्तावेज की कूट रचना कर गलत इस्तेमाल करना), 468 (कूट रचित दस्तावेजों को छल के लिए इस्तेमाल करना), 471 (कूट रचित दस्तावेज को असली दस्तावेज के रूप में उपयोग करना) के आरोप में जेल भेज दिया। आईपीसी की धारा 420 और 468 गैरजमानती धारा है।
विदित हो कि भेल भोपाल के रिटायर्ड वेलफेयर आफिसर आरएस सिंह की शिकायत पर साजी सैम्युअल के खिलाफ गोविंदपुरा पुलिस ने यह एफआईआर दर्ज की थी। अपनी शिकायत में आरएस सिंह ने आरोप लगाया था कि एक्जीक्यूटिव एचआर के लिए वर्ष 2007 में बीएचईएल में वैकेंसी निकली थी। साजी सैम्युअल जो पहले से ही भेल भोपाल में सुपरवाइजर एचआर की हैसियत से काम कर रहा था, उसने एमबीए की रेग्युलर डिग्री की जगह एमबीए कॉरेस्पॉन्डेंस की डिग्री लगाई थी।
शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत में आरोप लगाया था कि साजी सैम्युअल ने भोपाल स्थित सोलंकी कम्प्यूटर क्लासेस से एमबीए के पहले सेमेस्टर की मार्कशीट लगाई थी। दूसरे व तीसरे सेमेस्टर की मार्कशीट फैजाबाद यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश की और चौथे सेमेस्टर की मार्कशीट सैलम यूनिवर्सिटी तमिलनाडू की लगाई थी। शिकायतकर्ता ने इन सभी मार्कशीटों की जानकारी आरटीआई के जरिए मांगी थी। आरटीआई में इस बात का खुलासा हो गया था कि साजी सैम्युअल को जारी की गई मार्कशीट फर्जी हैं।
शिकायतकर्ता आरएस सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्होंने साजी सैम्युअल और अन्य के खिलाफ फर्जी मार्कशीट के आधार पर एचआर एक्सजीक्यूटिव बनने की जानकारी भेल मैनेजमेंट को दी थी। जब मैनेजमेंट द्वारा इन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो उन्होंने भोपाल कोर्ट में इनके खिलाफ एक प्रायवेट शिकायत दर्ज करवाई है जिसकी सुनवाई अगले महीने है।
शिकायतकर्ता आरएस सिंह ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया था कि साल 2007 में एक्सजीक्यूटिव एचआर के लिखित एग्जाम में साजी सैम्युअल फेल हो गए थे। मगर मैनेजमेंट ने साजी सैम्युअल को वर्ष 2009 में इंटरव्यू के लिए बुलाया और उन्हें नियम विरुद्ध एचआर एक्सजीक्यूटिव बना दिया।