अनुप्रिया पटेल के अपना दल ने दिखाई भाजपा को आँखे, कहा सम्मान दो वरना ले सकते है कोई भी फैसला
अनिला आज़मी
लखनऊ। लोकसभा चुनावों के पहले भाजपा की मुश्किलें अपने गटबंधन के दलों को लेकर बढती ही जा रही है। नितीश और पासवान ने अपनी शर्तो पर जहा bihar में समझौते किये और भाजपा को उनकी शर्तो के आगे झुकना पड़ा वही अब भाजपा के एक अन्य सहयोगी दल अनुप्रिया पटेल की अपना दल ने भाजपा को आँखे दिखाना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में आज अपना दल ने बीजेपी को दो टूक कहा है कि या तो वे अपने सहयोगियों के साथ व्यवहार सुधारें या तो पार्टी कोई भी निर्णय ले सकती है।
अपना दल-सोनेलाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने लखनऊ में कहा कि, उनकी पार्टी वर्ष 2014 से भाजपा के साथ गठबंधन में है और पूरी ईमानदारी से गठबंधन धर्म का पालन का पालन कर रही है, लेकिन यूपी में उसे बीजेपी ने उचित सम्मान नहीं दिया। आशीष पटेल ने चेतावनी भरे लहजे में कहा ‘भाजपा अपना व्यवहार बदले, वरना हमारी नेता कोई भी निर्णय ले सकती हैं। शेर को जगाइये मत। यह शेर आपके पीछे चल रहा है, इसे हिंसक मत बनाइये। हमारी नेता जो भी निर्णय लेंगी, पूरी पार्टी उसका समर्थन करेगी।
उन्होंने कहा कि हम किसी को धमकी नहीं दे रहे हैं, बल्कि अनुरोध कर रहे हैं। हमारी मांग है कि प्रदेश की भाजपा सरकार दलितों और पिछड़ों में फैली निराशा को खत्म करे। यह काम कैसे होगा, इसे वह बखूबी जानते हैं’। हमारी पार्टी की संरक्षक अनुप्रिया पटेल केन्द्र में स्वास्थ्य राज्यमंत्री हैं लेकिन उन्हें उत्तर प्रदेश में उन्हीं के मंत्रालय से जुड़ी परियोजनाओं से सम्बन्धित कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश भाजपा सरकार ने निगमों में अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारियों के पदों पर नियुक्ति में भी अपना दल की घोर उपेक्षा की। आशीष पटेल ने यह भी कहा कि एक धड़ा ऐसा भी है जो नहीं चाहता कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अगला लोकसभा चुनाव हो। हालांकि उनसे जब यह पूछा गया कि वह कौन सा धड़ा है, तो आशीष पटेल ने कोई जवाब नहीं दिया।
सब मिला कर लब्बो लुआब ये है कि भाजपा के लिये अपने सहयोगियों को मनाना टेढ़ी खीर होता जा रहा है। जहा भाजपा को पासवान और नितीश के हाथो कड़वा घूंट पीकर वहा गटबंधन करना पड़ा और उनकी मांगो को मानना पड़ा वही भाजपा के लिये ओमप्रकाश राजभर भी अपने बयानों से सरदर्द बने है। अब अनुप्रिया के तरफ से ऐसे बयान आने के बाद भाजपा के नेतृत्व की पेशानी पर बल पड़ना लाज़मी है।