ईरान ने प्रतिबंधों के बावजूद ड्रोन के मैदान में बहुत प्रगति की हैः ब्रिटिश थिंक टैंक

आदिल अहमद : आफ़ताब फ़ारूक़ी

ब्रिटिश थिंक टैंक “रूसी” ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि बरसों के प्रतिबंधों के बावजूद ईरान ने ड्रोन के क्षेत्र में बहुत अधिक प्रगति की है।

इस थिंक टैंक ने “मध्यपूर्व में चालक रहित विमान” शीर्षक के अंतर्गत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एयरोस्पेस के क्षेत्र में बरसों से ईरान पर प्रतिबंध लगे हुए हैं लेकिन इसके बावजूद उसने ड्रोन बनाने के मैदान में बहुत प्रगति की है। ब्रिटेन का रूसी नामक थिंक टैंक सैन्य व सुरक्षा क्षेत्र में सबसे पुराने थिंक टैंक्स में से है और इसे ब्रिटेन का शाही अनुसंधान केंद्र भी कहा जाता है। इस रिपोर्ट में मध्यपूर्व में ड्रोन टेकनाॅलोजी से संपन्न ईरान, तुर्की व इस्राईल की क्षमताओं की समीक्षा की गई है और कहा गया है कि ईरान ने वायु क्षेत्र में कड़े प्रतिबंधों के बावजूद अपने दम पर विभिन्न प्रकार के ड्रोन बना लिए हैं और उन्हें इराक़ व सीरिया में आतंकी गुटों के ठिकानों पर हमले के लिए इस्तेमाल भी किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान ने वर्ष 2012 में दो ड्रोन विमानों का अनावरण किया था और उसने अमरीका के टोही ड्रोन आरक्यू-170 की रिवर्स इंजीनियरिंग करके उसकी पूरी टेकनालोजी हासिल कर ली है।

अमरीका का आरक्यू-170 ड्रोन, जो क़ंधार के जानवार के नाम मशहूर है, सात साल पहले ईरान की पूर्वोत्तरी सीमाओं में घुसा था जिसके बाद ईरान के एयरो स्पेस विशेषज्ञों ने उसे अपने क़ब्ज़े में ले लिया। आरंभ में इस बात का पता नहीं चला कि यह ड्रोन किस देश का है और कहां से ईरान आया है लेकिन इसकी विकसित टेकनालोजी के दृष्टिगत और इसी तरह ईरान के पड़ोसी देशों अफ़ग़ानिस्तान व इराक़ में अमरीका की उपस्थिति के मद्देनज़र यह स्पष्ट हो गया कि यह अमरीकी ड्रोन है। अमरीका ने आरंभ में इन्कार किया लेकिन फिर बाद में यह स्वीकार कर लिया कि यह उसी का ड्रोन है।

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