पार्टी में मोदी और अमित शाह के अलावा किसी की कोई पूछ नही – संघप्रिय गौतम (भाजपा संस्थापक सदस्यों में एक)

आदिल अहमद

नई दिल्ली: भाजपा की अंतर्कलह उभर कर अब पटल पर आ रही है। पहले शत्रुधन सिन्हा से लेकर यशवन्त सिन्हा तक भाजपा के नेता और सांसदों ने अपने दिलो की भड़ास निकाली है। अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा के संस्थापक सदस्य संघप्रिय गौतम ने सोमवार को फिर भाजपा नेतृत्व पर हमला बोला है। उन्होंने इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पार्टी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अलावा किसी अन्य नेता की कोई पूछ नहीं है।

उन्होंने दावा किया कि भाजपा में आज उनके अलावा किसी भी अन्य नेता में सच्ची और सही बात कहने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में भाजपा में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के अलावा किसी मंत्री, सांसद अथवा विधायक की कोई कीमत नहीं है।  भाजपा के इस पूर्व कद्दावर नेता गौतम ने कहा कि उन्होंने पार्टी के अंदर संगठन व सरकार में बदलाव की बात कहकर एक अहम मुद्दा उठा दिया है। अब देखना है कि 10-11 जनवरी की पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होती है या नहीं। उन्होंने कहा कि मेरे इस सुझाव पर भाजपा नेतृत्व कुछ भी कहे लेकिन मेरे पास देशभर से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के फोन आ रहे हैं और वे सब मेरे सुझाव की काफी प्रशंसा कर रहे हैं।

 इस सवाल पर कि आपकी ही पार्टी के कई नेता आपको निष्क्रिय बताते हुए आपके बयान को हलके में ले रहे हैं, संघप्रिय गौतम ने कहा, ‘मुझे बूढ़ा समझ निष्क्रिय कहने वाले पार्टी के जवान नेताओं के मुकाबले संघप्रिय गौतम आज भी सक्रिय है। मेरा शरीर जरुर बूढ़ा हो गया है, लेकिन दिमाग आज भी सक्रिय है। उन्होंने कहा, कि गौतम को निष्क्रिय कहने वाले भी वही लोग है जिनके अपने इलाके में दो वोट तक नहीं हैं। आम जनता से जिनका कोई सम्पर्क नहीं है।

गौरतलब है कि रविवार को प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ। चन्द्रमोहन ने गौतम के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि गौतम पिछले काफी अर्से से निष्क्रिय हैं। उनके बयान को महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले दलित नेता गौतम ने बिना किसी नेता का नाम लिये कहा कि आज पार्टी के जिम्मेदार नेताओं का जनता से सम्पर्क टूट चुका है। हालत यह है कि पार्टी के अंदर कुछ लोग आपस में ही बैठकर निर्णय लेते हैं और आपस में ही एक-दूसरे की प्रशंसा कर खुश हो लेते हैं।

इस सवाल पर कि अगर उनके संगठन व सरकार में बदलाव संबंधी सुझाव को नहीं माना गया तो क्या वह पार्टी छोड़ेंगे, संघप्रिय गौतम ने जवाब दिया कि मैं क्यों छोड़ूगा पार्टी, मैं तो पार्टी का संस्थापक सदस्य हूं। छोड़ेंगे वो लोग जो कि पार्टी को बर्बाद करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि लोकसभा चुनाव में क्या वह पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार करेंगे, गौतम ने कहा कि 10-11 जनवरी को दिल्ली में होने वाली पार्टी नेतृत्व की बैठक का इंतजार कीजिए। अगर बैठक में मेरे सुझाव पर कोई विचार नहीं होता है तो फिर देखा जाएगा। फिर अभी सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर की सुनवाई भी होनी है, उसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।

अब देखना होगा कि पार्टी के बैठक पर इस मुद्दे पर चर्चा होती है कि नही। वैसे देखा गया है पार्टी में पुराने समय से जुड़े कार्यकर्ताओ और नेताओ के बीच पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ आवाज़े निकलने लगी है। लगातार उपेक्षा किये जाने के आरोप आम होते जा रहे है और पार्टी के भीतर ही पार्टी के विरोधी पैदा होते जा रहे है।

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