भाजपा को लगा बड़ा झटका, सहयोगी दल ने वापस लिया समर्थन

आदिल अहमद/आफताब फारुकी

नई दिल्ली। आपको याद होगा कि एजीपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत ने बयान दिया था कि अगर नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 लोकसभा में पारित होता है तो उनकी पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। जानकारी हेतु बता दे कि यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। जिसमे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। यदि यह बिल पास होता है तो मुस्लिम को छोड़ कर सभी अन्य अल्पसंख्यक धर्मो के लोगो को भारतीय नागरिकता के लिये 12 साल इंतज़ार नही करना पड़ेगा।

इस बिल का विरोध पूर्वोत्तर राज्यों में काफी हो रहा है। इस विधेयक के खिलाफ लोगों का बड़ा तबका प्रदर्शन कर रहा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा समेत कुछ अन्य पार्टियां लगातार इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। अब इस मुद्दे को लेकर भाजपा को बड़ा झटका लगा है। नागरिकता संशोधन विधेयक के मुद्दे पर सोमवार को असम की भाजपा सरकार से असम गण परिषद (एजीपी) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। एजीपी अध्यक्ष और मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी देते हुए कहा कि एजीपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। इसके बाद यह निर्णय लिया गया।

गृहमंत्री से मुलाकात के बाद, बोरा ने कहा, ‘हमने इस विधेयक को पारित नहीं कराने के लिए केंद्र को मनाने के लिए आज आखिरी कोशिश की, लेकिन सिंह ने हमसे स्पष्ट कहा कि यह लोकसभा में कल (मंगलवार) पारित कराया जाएगा। इसके बाद, गठबंधन में बने रहने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है’। आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया गया है।

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