मनकबती मुशायरे में शायरों ने पढ़े कलाम ( जहां अक्लो खिरद नाकाम हो जाए वहां तुम हो
प्रत्यूष मिश्रा
मनकबती मुशायरे में कलाम पढ़ते शायर आमिर मसूदी
बांदा। अलीगंज स्थित सैयद गौहर रब्बानी के आवास में उर्स मखदूमे रब्बानी के दूसरे और अंतिम दिन षुक्रवार की रात एक तरही मनकबती मुशायरे का आयोजन हुआ। मुशायरे की सदारत डा. साबिर नियाजी ने की और संचालन मीर साहब जबलपुरी ने किया। मुशायरे की षुरुआत करते हुए ताजुद्दीन महोदवी ने पढ़ा-शहंशाहे जमा तुम हो गरीबों की अमां तुम हो, जीम को नाज है जिस पर एक ऐसा आसमान तुम हो। इसके बाद डा. खालिद इजहार ने शेर सुनाया-हो तुम सखियों में एक ऐसे सखी मखदूमे रब्बानी, किसी की भी नहीं फरियाद करते रायगां तुम हो। रहबर रब्बानी के इस कलाम को खूब सराहा गया। उन्होंने पढ़ा-ये बज्मे उर्स की रौनक ये मौसम का सुहानापन, हवा ने मुखबरी कर दी हमारे दरमियां तुम हो।
आमिर मसूदी ने कलाम सुनाया जिस पर पूरी महफिल झूम उठी-तुम्हारा मर्तबा अल्लाह हो अकबर कोई क्या जाने, जहां अक्लो खिरद नाकाम हो जाए वहां तुम हो। नजरे आलम नजर ने पढत्रा नजर को वो रसाई दो मेरे मखदूमे रब्बानी, जिधर देखूं उधर तुम हो जहां देखूं वहां तुम हो। रईस अहमद अब्बा बांदवी ने पढ़ा-तुमहारी क्या करें तारीफ हम के ला बयां तुम हो, तुम्हारे कद्र दां हम हैं, हमारे मेहरबां तुम हो। शमीम बांदवी ने पढ़ा-मेरे जैसे हजारों ने भरी हैं णेलियां अपनी, ये वो दर है शमीमें बांदवी बैठे जहां तुम हो। सैयद गौर रब्बानी ने षेर सुनाया-तेरी उंगली पकड़कर हम चले राहे तरीकत पर, सुनाई इश्के मुस्तफवी की जिसने लोरियां तुम हो। शरीफ बांदवी का शेर था-हमारी खुशनसीबी है हमारे दरम्या तुम हो, सभी से प्यार करते हो सभी पर मेहरबां तुम हो। मास्टर नवाब अहमद असर ने शेर सुनाया-तुम्हारे सामने दुश्मन पसीना छोड़ देते हैं, यजीदी सीने हैं वो तो हुसैनी बरछियां तुम हो। सैयद खुश्तर रब्बानी ने अपना कलाम सुनाया-खुदारा चश्मे खुश्तर को अतर हो ऐसी बीनाई, अन आंखों के झरोखों से जहां देखे वहां तुम हो। इसके अलावा गुलजार, जाहिद, खादिम बांदवी, निस्तर बांदवी, रिजवान रब्बानी, गुफरान रब्बानी, शुएब उर्फ शीबू न्याजी आदि ने भी अपने-अपने कलाम सुनाए। अंत में मुशायरे की सदारत कर रहे डा. साबिर न्याजी ने सलातो सलाम पढ़ा व दुआ कराई। मेजबान सैयद खुश्तर रब्बानी ने सभी शायरों व मेहमानों का आभार व्यक्त किया।