तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – हिंदुस्तान के मुसलमानो का फरमान सुन ले गीदड़ की औलाद मसूद अजहर
तारिक आज़मी
असल में तेरी नस्ल किसी शिकारी कुत्ते से अधिक नही है। वैसे तुझको कुत्ता कहकर उन मालिक के लिये वफादार कुत्तो की बेईज्ज़ती नही करना है। चल तुझको गीदड़ का खिताब दे देते है। हा ये सही भी रहेगा क्योकि तेरी हरकते तो गीदड़ जैसी है। खुद पकिस्तान के किसी बिल में छुप कर बैठा है। असल में तू डरपोक किस्म का इंसान है। तू खुद को मुसलमान कहकर उनको बहला सकता है जो जानते न हो कि मुसलमान का मतलब क्या होता है। तू क्या तेरी एक दो पीढ़ी भी मिलकर मुसलमान का मतलब न समझ पायेगी। तू तो बस नाम मुसलमान का लेकर चल रहा है। असल में तू यजीद से अलग नही है।वैसे तुझे लोग मौलाना मसूद अजहर कहते है, तो सुन कुत्ते तू मौलाना नही है खब्बिस की औलाद खब्बिस है.
तूने खुद के मुफात के लिये मासूम और नासमझ लडको को अपने गैंग में शामिल करके उनसे आतंकी वारदात करवाता है। तेरे अन्दर तो औकात है नहीं कि सामने आकर मुकाबला कर सके। इसी लिये शहद तूने गीदड़ो के तरह झुण्ड बना लिया और लोगो को समझा रहा है कि ये जेहाद है। तू तो जानता भी नही होगा रे कुत्ते कि जेहाद का असली मायने क्या होता है। तुझको मालूम भी कैसे होगा कि जेहाद का असली मतलब क्या होता है ? तू तो बस गीदड़ो का झुण्ड बना कर आराम से बस में सफ़र कर रहे जवानों के ऊपर धोखे से हमला करवा देता है। जानता है न तू कि सामने आकर लड़ने की तेरी औकात नही है। औकात तो छोड़ तेरी बाप दादा कि भी औकात मिला ले तू सामने आकर नही लड़ सकता है। तो तूने धोखे का सहारा लिया। अगर यही तू ललकार कर सामने आता तो अच्छी तरह जानता है कि तुझको घर के अन्दर तक घुस कर ये 42 ठोक देते। तेरे पकिस्तान को कब्रिस्तान बनने में ज्यादा वक्त नही लगता। मगर तू तो गीदड़ की औलाद है न। तो पीठ पर वार करता है जो तूने किया।
तू क्या समझता है तू कोई जेहाद कर रहा है। न रे कुत्ते इसको जिहाद नही कहते है। इसको कहते है दहशतगर्दी। जेहाद तो तेरे बाप के भी बस में नही है, जिहाद के लिये गरीबो मज़लूमो के साथ उनको दो वक्त की रोटी खिलाते हुवे उनको तालीम देते हुवे ज़ुल्म के खिलाफ लड़ना होता है। अब जब तू खुद ज़ुल्म का एक आईना है तो तू जिहाद किसके खिलाफ करेगा। अरे कुत्ते की औलाद तू सेना को छोड़ तू बता इस मुल्क के किसी भी एक बाशिंदे को चुन ले, और आ जा सामने से जैसे लड़ना है लड़ ले। जानता है तू हमारे मुल्क का दस साल का बच्चा भी तुझे कुत्ते की मौत मार डालेगा। इस बात को तू अच्छी तरह से जानता है कि तू कुत्ते की मौत आज नही तो कल मरेगा। तो बिल में छुप कर चुपचाप बैठा हुआ है।
वैसे तेरी याद बड़ी कमज़ोर है। चल तुझको याद दिलाता हु। तू घुटनों के बल इसी मुल्क में बैठा था। तेरी स्थिति ऐसी थी जैसे भीगी बिल्ली। हमारे मुल्क के जवानों ने तुझको पकड लिया था। तब तेरी बहादुरी कहा घास चरने गई थी। फिर तूने एक कायर वाला काम करवाया था। जहाज़ का अपहरण करवा कर मासूमो के जान का सौदा किया था तूने। याद है न कायर। चल तुझको एक बात और बताता हु। तेरा एक और बाप था ओसामा बिन लादेन, उसकी मौत शायद तुझको याद होगी। कुत्ते की मौत मारा गया था वो भी। वो तो तेरा बाप था न, हर इंसान की जद्दोजहद दो गज ज़मीन और दो गज कफ़न की होती है। देख अल्लाह की मार। अल्लाह ने उसके नसीब में न कफ़न लिखा था और न ही दो गज ज़मीन। तेरा वो बाप कुत्ते की मौत मरने के बाद समुन्दर में फेक दिया गया था। उसके नापाक जिस्म को ज़मीन ने भी अपने आगोश में लेने से मना कर दिया था। उसके जिस्म को उठा कर समुन्दर में फेक दिया गया था कि मछलिया खा ले उसको। मगर तेरे उस बाप को तो मछलियों ने भी न खाया होगा। क्योकि हराम जानवर तो वो भी नही खाती है।
बस तू भी जान ले। जिस दिन तू बिल से बाहर आएगा तो उस दिन तू भी ऐसे ही कुत्ते की मौत मारा जायेगा। अब अगर तेरा जिस्म हम भारतवासियों के पास रहा तो थोडा रहम हम कर देते है। तेरी औलाद जो था न कसाब देख उसको टांगने के बाद भी हमने दो गज ज़मीन में दफन कर दिया था वरना तेरे नापाक जैसे पाकिस्तान ने उसको लेने से मना कर दिया था। ऐसी ही हालत तेरी होनी है। तेरे मुल्क वाले तुझको नही पहचानेगे। तुझको चील कौवो को खाने के लिये छोड़ देंगे। ये बात तू अच्छी तरह से जानता है। ये भी तू जानता है कि जिस मुल्क में तू पनाह लेकर बैठा है उस मुल्क को अगर हमारे मुल्क वालो ने सिर्फ एक लोटा पानी पिछवाडा धोने वाला उसके तरफ फेकना शुरू किया तो सुनामी की उस लहर में वो बह जायेगा। मगर तू कायर की औलाद चूहे की बिल में बैठ कर ये प्लान तैयार कर कभी मिल गया तू खुले मैदान में इस मुल्क के किसी भी नौजवान से तो तेरे मर्द होने का भ्रम जो तूने पाल रखा है दूर हो जायेगा।
सुन तू कुत्ते की औलाद, तुझको कश्मीर चाहिये, तो कान खोल और सुन ले इस बात को कि इस मुल्क का एक एक मुसलमान एक एक बच्चा ये बात कह देगा कि कुत्ते कश्मीर तो बहुत दूर की बात रही कश्मीर के कहवा की खुशबु तक तुझको न मिलेगी। समझ रहा है कुत्ते की औलाद। सुन रहा है न तू। कश्मीर तो बहुत दूर रहा हम तुझको वहा के वादियों की खुशबु न देने वाले है। हां एक बात का ध्यान रखना तू सिर्फ कि अगर इस मुल्क के मुसलमान अपना सब्र छोड़ देंगे तो तेरे घर में घुस के तुझे मार सकने की हिम्मत और जज्बा रखते है।
देख मसूद अजहर तुझको ये तस्वीर दिखाई दे रही है। देख ये है इस मुल्क के मुसलमान। इसको देख और कुछ इबरत हासिल कर। दरअसल कुफ्र लफ्ज़ तेरे जैसे कुत्तो के लिये ही बना है। असली काफ़िर तो तू है। मेरी बात पर यकीन न हो तो जाकर अपने किसी भी आलिम से पूछ ले। इस तस्वीर को देख ले। इस मुल्क का एक एक मुसलमान का बच्चा अपने मुल्क को अपनी जान से ज्यादा चाहता है। तेरे जैसे हम नही है। तू जा पहले अपने खुद के मुल्क में देख जहा शिया सुन्नी की मस्जिद और सुन्नी शिया की मस्जिद में बम फोड़ते है। जाकर उसको रोक। आया है बड़ा काश्मीर चाहिये। अबे कुत्ते की औलाद सेना तो बहुत बड़ी बात हुई इस मुल्क के मुसलमान कश्मीर की पोटी भी तुझे नही देने वाले है। सुन रहा है तू।