असंगठित कामगार मजदूरो को उनकी पहचान दिलाना है – डॉ. मोहम्मद आरिफ
अनुपम राज
वाराणसी। आज सर्व सेवा संघ परिसर राजघाट वाराणसी मे एम ट्रस्ट तथा वाराणसी स्लम विकास समिति द्वारा आगामी आम चुनाव में मजदूरो के मुद्दों पर कामगार संसद का आयोजन किया गया जिसमे वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनने में शहरी गरीबों की भूमिका के विषय पर गोष्ठी की गई। विदित हो कि वाराणसी मे 227 मलिन बस्ती है। जिसके अंतर्गत शहरी क्षेत्र में 50% ऐसे लोगे है जो असंगठित मजदूर के रूप में कार्य करते है, जैसे निर्माण मजदूर, बोझा ढोने बाले लोग ठेला चलाने बाले मजदूर, दाह संस्कार करने बाले मजदूर, झाड़ू पोछा का काम करने वाले कामगार तथा कूड़ा बीनने बाले लोग है। कुछ मजदूर ऐसे भी होते है जो बाहर से आकर अन्य शहरी क्षेत्र में काम करते है तथा शेल्टर होम या फुटपाथ या किराये पर रूम लेकर रहते है। ऐसे मजदूरो/शहरी बेघरो के जीवन और आजीविका के अधिकार कि रक्षा होनी चाहिए। बेघरो को पहचान और सभी कल्याणकारी योजनाओ तक पहुच प्रदान किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता असंगठित कामगार अधिकार मंच के डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा की असंगठित कामगार मजदूरो को उनकी पहचान दिलाना और उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करना हमारा मुख्य उदेश्य है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के साथ होने वाले दुर्भाव को रोकने के लिए मजदूरों का पंजीकरण हो और उनको मानक के अनुरूप उचित मूल्य मिल सके। उनके परिवारों को स्वास्थ्य लाभ मिल सके, साथ ही बहार से आये श्रमिको को शहर में कम मूल्य पर भोजन मिल सके। इसके लिये सरकार से मांग करने की ज़रूरत है। ऐसी महिला जो दूसरों के घरो में काम करती है, उन्हे सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिले। उनको उचित पारश्रमिक मिले जिससे कामगार महिला अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। बच्चो को उचित शिक्षा मिले साथ ही अलाभित समूह का लाभ असंगठित कामगारों के बच्चो को मिले उनको आवास की सुविधा मिले और कामगार महिलाओं के कार्य के समय का निर्धारण हो तथा उनकी मजदूरी निर्धारित हो।
वरिष्ठ समाजसेवी आनंद तिवारी ने कहा कि स्मार्ट सिटी में वह व्यक्ति जो समाज का सबसे पिछड़ा व अंतिम व्यक्ति है, उसे स्मार्ट बनाने की सरकार की क्या रणनीति है ? क्योंकि जब इस शहर में, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, बरकरार रहेगी तों तब हम कैसे माने की बनारस स्मार्ट हो जायेगा। उन्होंने कहा की स्मार्ट सिटी के नाम पर सरकार गरीबों का घर न उजाड़े बल्कि वो जहाँ रहे है, वही पर उन्हें स्मार्ट घर देकर उन्हें उनके सभी मूलभूत अधिकारों को दिलाकर लोगों को स्मार्ट बनाने की ज़रूरत है। श्रीमती सीलम झा प्रबंधक सर्व सेवा संघ ने समाज के सभी वर्ग को शिक्षित बनाने और आभाव रहित जीवन जीने के सभी मूलभूत अधिकारों को वो प्राप्त करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गाँधीवादी विचारधारा के संवाहक अमरनाथ ने कहा की गरीबी तकदीर नहीं है। समाज ने गरीब बनाया है। प्रकृति द्वारा दी गई संपत्ति पर सबका समान अधिकार होना चाहिए। उन्होंने कहा की गाँधी जी के विचारों को जनता के सामने रख कर सभी राजनीति करते है, और वोट मांगते है। लेकिन जब उस पर अमल करने की बात होती है तों नहीं करते। पिछले 70 वर्षों में ऐसी कोई पार्टी नहीं जिसे समाज का विकास करने के लिये जनता ने मौका न दिया हो। लेकिन आजादी के बाद का जो सपना गाँधी जी ने देखा था कि एक खुशहाल हिन्दुस्तान होगा, जिसमे सबको बराबरी का अधिकार होगा, कोई भी व्यक्ति गरीबी और अभावग्रस्त जीवन नहीं जियेगा, वो अभी भी अधूरा है। उन्होंने अन्त्योदय सर्वोदय का जिक्र करते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति व समाज के सभी वर्ग के लोगों का उत्थान करने की बात कही।
गोष्ठी में एम ट्रस्ट के निदेशक संजय राय, प्रोफेसर डाक्टर संजय अध्यक्ष समाज संकाय, राजघाट वाराणसी के जलालीपुरा के पार्षद हाजी ओकास अंसारी के अलावा शहरी गरीबों के मुद्दों पर काम करने वाले अन्य संस्था व यूनियन के लोग उपस्थित रहे! गोष्टी में समुदाय से गोपाल साहनी, राजू शाहनी, शफीउल्लाह, इकबाल आदि ने भी अपनी समस्याओं को रखा। सभा की अध्यक्षता गाँधीवादी विचारधारा के संवाहक अमरनाथ ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के परियोजना समन्व्यक अमित कुमार ने किया।