हार्टमन इण्टर कालेज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया गया

विकास राय

 

गाजीपुर जनपद के हार्टमन इण्टर कालेज हार्टमन पुर में 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ परिचय के द्वारा किया गया।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डा अलका राय एवम फादर पी विक्टर प्रधानाचार्य.सिस्टर सुपिरियर अभया.राजाराम प्रसाद.रिटायर्ड कमांडर कैलाश पति राय.श्रीमती प्रतिभा राय.पूर्व ब्लाक प्रमुख मुहम्मदाबाद श्रीमती चंदा यादव.उषा यादव के द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया।छात्राओं के द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति की गयी।संकल्प के पश्चात स्वागत के दो शव्द एवम मुख्य अतिथि का बैज अलंकरण किया गया।राजाराम प्रसाद एवम फादर पी विक्टर के द्वारा मुख्य अतिथि को बुके भेंट कर सम्मान किया गया।जागृती गीत.मण्डल रिपोर्ट. एकांकी.महिला चेतना मण्डल का अनुभव.इत्यादि कार्यक्रम की सुन्दर प्रस्तुति की गयी।कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका स्वर्ण लता के द्वारा किया गया।

अपने संबोधन में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डा अलका राय ने महिला दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को शुभकामनाएं दी और इस कार्यक्रम में बुलाये जाने के लिए फादर पी विक्टर का आभार व्यक्त किया।आपने विश्व महिला दिवस के अवसर पर कहा की
आज 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। एक ऐसा दिन जब महिलाएं अपनी आजादी का जश्न खुलकर मनाती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? इसकी शुरुआत कब हुई?

इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हुवे कहा की 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने का सुझाव दिया गया और धीरे धीरे यह दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में लोकप्रिय होने लगा। इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता 1975 में मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक थीम के साथ मनाने की शुरूआत की।
सबसे पहले महिला दिवस साल 1909 में अमेरिका में मनाया गया था।
1917 में रूसी महिलाओं ने पहले विश्व युद्ध के प्रति विरोध जताकर महिला दिवस मनाया था। उस वक्त रूस के नेता ज़ार निकोलस II ने पेट्रोग्रेड मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के जनरल खाबलो को निर्देश दिया कि वह जारी विरोध-प्रदर्शन को रुकवाएं और जो भी महिला इसका विरोध करे उसे गोली मार दें। लेकिन इस धमकी से कोई भी महिला नहीं डरी और हर मुसीबत का डटकर सामना किया।डा अलका राय ने उपस्थित महिलाओं एवं छात्राओं से संवोधन के माध्यम से रिश्ता बना लिया।डा अलका राय ने कहा की बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं है।मेरे जन्म पर मेरी मां ने सोहर गीत गवाया था और मेरी मां के जनम पर मेरी नानी के द्वारा सोहर गीत गवाया गया था।आज समाज को इस भेद भाव एवम पुरानी सोच को बदलना होगा।आपके द्वारा सभी महिलाओं को जागरूक करने का भरपूर प्रयास किया गया।फादर पी विक्टर के द्वारा मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि के द्वारा विद्यालय परिसर में पौधारोपण भी किया गया।
फादर पी विक्टर के द्वारा सभी आगन्तुकों के प्रति आभार ब्यक्त किया गया।
कार्यक्रम में सुशील कुमार. प्रभाकरमणी त्रिपाठी. अजय कुमार. प्रेम कुमार. सी डी जान.दिनेश पाठक.उदय कुमार. अजीत कुमार. सत्येंद्र नाथ पाण्डेय. राजकुमार. इसरत अतिया. स्वर्ण लता.शुभनरायण यादव.महात्मा प्रसाद.गुड्डन चौबे.गीता.सिस्टर हेलेन.सिस्टर ममता.अरविन्द
राय.समेत सभी शिक्षक शिक्षिका एवम भारी संख्या में महिलाएं उपस्थित रहीं।

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