आरिफ अंसारी की कलम से बड़ा सवाल – जब नगर निगम कहता है कि शहर में मैनुअल स्क्वेन्जर ही नही है तो ये दो सफाई कर्मियों की मौत कैसे हुई,

क्या नियमो के अनुसार दर्ज होगा ठेकेदार पर मुकदमा

आरिफ अंसारी

वाराणसी। पाण्डेयपुर में गहरे सीवर की सफाई करने उतरे दो सफाई कर्मी मजदूरों की मौत ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मृत अवस्था में सीवर से निकाले गये सफाई कर्मियों के शरीर पर कोई सेफ्टी बेल्ट अथवा सेफ्टी किट छोड़े साहब, एक चड्ढी के अलावा कुछ और नही था। इस घटना ने नगर निगम, जलकल और वाराणसी जिला प्रशासन को फिर से एक बार सवालिया घेरो में खड़ा कर दिया है। क्योकि हमारे ये साहब लोग तो आकड़ो के माहिर है और इनके आकड़ो के हिसाब से मैनुअल स्क्वेन्जर वाराणसी में है ही नही। अगर ये सत्य है तो फिर ये जो दो मौते हुई है उसका ज़िम्मेदार कौन है और ये मृतक कौन और कहा के मैनुअल स्क्वेन्जर है। ये बड़ा सवाल उठता है। पहले आपको बताते चले कि ये मैनुअल स्पेंजर क्या है।

क्या होता है मैनुअल स्क्वेन्जर और कौन है इस श्रेणी में

हमारे देश में हाथ से मैला ढोने वालो हेतु सरकार ने एक नियम बनाया हुआ है। इनको मैनुअल स्क्वेन्जर कहा जाता है और नियम को मैनुअल  स्क्वेन्जर एक्ट कहा जाता है। बताते चले कि इस एक्ट में वह सभी सफाई कर्मी आते है जो हाथो से मैले को साफ़ करते है। अर्थात अगर आपके सीवर में ब्लोकेज हुआ है और कोई सफाई कर्मी इसको अपने हाथो से साफ कर रहा है तो उसको मैनुअल स्क्वेन्जर  की श्रेणी में रखा जाता है। इसी क्रम में सफाई कर्मी भले हाथो से उस पानी की निकासी कर रहा हो जिसमे मूत्र मिले होने की संभावना हो तो भी इसको मैनुअल स्क्वेन्जर कहा जाता है। इसके लिये नियम और कानून 1993 में पास किया गया था। मगर लागु करने के नाम पर करीब सभी जिले के जिला प्रशासन ने ये माना था कि उनके यहाँ हाथ से मैले को ढोने वाले लोग नहीं है।

बड़ा सवाल

वाराणसी के एक समाजसेवक अनिल मौर्या ने हाई कोर्ट में मुकदमा दर्ज करवाते हुवे मैनुअल स्क्वेन्जर की डिटेल मांगी थी। मैनुअल स्क्वेन्जर  के लिये नगर निगम वाराणसी ने कहा था कि हमारे यहाँ मैनुअल स्क्वेन्जर है ही नही। फिर किस प्रकार से ये दो सफाई कर्मियों की मौत हो गई। अब इसकी ज़िम्मेदारी किसकी बनेगी। क्या वाराणसी जिला प्रशासन ठेकेदार के ऊपर मुकदमा दर्ज करवाएगा ? इस बड़े सवाल का जवाब शायद नगर आयुक्त महोदय दे सकते है अथवा जिलाधिकारी महोदय ही दे सकते है। मगर सवाल ये भी है कि आखिर कब तक ये नरक की मजदूरी जारी रहेगी ?

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