लखनऊ की सडको पर भगवा रंग के कपडे पहने युवको ने कश्मीरी लोगो को पीटा, वीडियो वायरल, पुलिस आई एक्शन मोड़ में

तारिक आज़मी

लखनऊ: मुल्क में अजीबो गरीब एक माहोल चंद मुठ्ठी भर लोग देश भक्ति का प्रमाणपत्र देते फिर रहे है। देश में रहकर इनके लिये आप दुश्मन देश के समर्थक कहे जा रहे है। हालत इन कमज़र्फो ने ऐसे कर रखे है कि मुल्क परस्ती की सनद इनसे अगर आपने नही लिया दो आप मुल्क के दुश्मनों में से रहोगे। ये सडको पर खुलेआम गुंडई कर रहे है, वही प्रशासन इनके आग बौना खुद को समझ रहा है। ये वो लोग है जो खुद को मुल्क का रहनुमा साबित करते हुवे आपको बीच चौराहे पर मारने पीटने लगेगे और आपको देशद्रोही साबित करने लगेगे। ऐसे संगठन 2017 के बाद काफी ताय्दात में बढ़ गये है।

ये अभी तक दबे हुवे थे मगर अब मुखर होकर सडको पर उपद्रव मचा रहे है। खुद को देशभक्त और दूसरो के देश द्रोही साबित करने वाले इन लोगो को एक सहारा रंग का है जो भगवा है। भगवा रंग के कपड़ो को पहन कर खुद को हिन्दू रक्षक और देश भक्त कहते हुवे सडको पर उपद्रव मचाते हुवे इनके ऊपर प्रशासन लगाम नही लगा पा रहा ये गंभीर विषय है। इसका जीता जागता उदहारण लखनऊ के सडको पर देखने को मिला जब खुद को हिन्दू रक्षक देश भक्त कहने वाले एक संगठन के कुछ लोगो ने काश्मीरी युवको को बीच सड़क पर पिटाई किया। यही नही उन्होंने खुद इसका वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। मामला गंभीर होने के बाद पुलिस हरकत में आई और एक को गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही कर रही है।

मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। जहा दो कश्मीरी लोगों पर दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े लोगों का कहर टूटा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भीड़ भाड़ वाले डालीगंज पुल पर ड्राई फ्रूट्स बेच रहे कश्मीर के दो विक्रेताओं पर बुधवार को एक खुद को हिन्दूवादी और देशभक्त कहने वाले संगठन से जुड़ें लोगों के एक समूह ने हमला कर दिया और उन्हें पीटा। इस संगठन के लोगों में से एक ने कश्मीरी के साथ मारपीट का एक वीडियो भी साझा किया। हालांकि, स्थानीय लोगों की मदद की वजह से दोनों कश्मीरी युवक को हमलावरों को चंगुल से बचाया गया।

घटना का वीडियो इस ट्वीट में देख सकते है आप

बताया जा रहा है कि इस हिदुवादी संगठन से जुड़े लोगों ने जिन दो कश्मीरियों को पीटा है, वे लोग कई सालों से लखनऊ में ड्राई फ्रूट्स बेच रहे हैं। बताते चले कि इससे पहले पुलवामा हमले के बाद देश के कई कोनों से कश्मीरियों पर हमले की खबरें आईं थीं। जिसे देखते हुए गृह मंत्रालय ने कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों को सख्त निर्देश दिए थे। घटना बुधवार शाम 5 बजे हुई। ड्राई फ्रूट्स विक्रेताओं के साथ मारपीट करने वाले लोगों को मोबाइल से कैद किए गये वीडियो में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे कश्मीर से हैं। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे दो हमलावर भगवा कपड़ा पहने हए हैं और वे कश्मीर विक्रेता को थपड़ और डंडे से मार रहे हैं। हालांकि, वहीं कुछ लोग बीच बचाव करने भी आ जाते हैं।

पुलिस ने कहा कि इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया है और एक को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है।  मुख्य आरोपी, जो विश्व हिंदू दल का अध्यक्ष होने का दावा करता है, को गिरफ्तार नहीं किया गया है और वह फेसबुक पर पोस्ट अपडेट कर रहा है। हमले का वीडियो जो उसने फेसबुक पर साझा किया था उसे हटा लिया है।

मामला यही ख़त्म नही होता है। बात अगर मुद्दे की किया जाए तो मुद्दा ये है कि इन कथित राष्ट्रवादी संगठनों को ये आज़ादी किसने दिया। आखिर उनको कौन सा अधिकार है कि वह सडको पर इस तरह घूम घूम कर किसी को देश भक्ति और किसी को देश द्रोहो का प्रमाणपत्र प्रदान करे। आखिर इस तरह के संगठन जो समाज को दो हिस्सों में बाट रहे है उनके ऊपर कार्यवाही क्यों नही होती है। आज मुल्क में ऐसे लोगो ने ही आवाम को दो हिस्सों में तकसीम कर रखा है। सवाल ये है कि आखिर इनको इसका हक़ किसने दिया। वीडियो को आप खुद गौर से देखे तो उसी सड़क पर चलते हुवे लोग इस घटना को ऐसे अनदेखा करके निकल जा रहे है जैसे कुछ हो ही नही रहा है। इन लोगो को क्या कहा जाए ? जब कोई घटना इनके खुद के साथ होती है तो फिर ये लोग ही समाज के ऊपर आरोप लगाते है कि किसी ने मदद का हाथ नही बढाया। खैर साहब जो हो मगर ऐसे संगठन समाज को एक घातक रास्ते पर लेकर जा रहे है।

मामला यही नही रुका है सवालातो की एक झड़ी है। आखिर इस संगठन के अध्यक्ष पर अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नही हुई है। क्यों नही इस संगठन के खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने वाले युवक पर पुलिस सख्त हो रही है। क्या एक विशेष रंग के वजह से पुलिस बैक फुट पर रहती है। इस मामले में सबसे गंभीर बात ये है कि मौके पर जब पुलिस पहुचती है तो मारपीट कर रहे भगवाधारी युवको को वहा से जाने देती है और कश्मीरी लोगो को लेकर थाने आती है जहा पूछताछ के बाद उनको छोड़ दिया जाता है। बात जब मीडिया द्वारा उठाई जाती है तो पुलिस एक्शन मोड़ में आती है और कार्यवाही करती है। इस गतिविधि पर भी सवाल उठता है कि क्या हमेशा पुलिस ऐसे उपद्रवियों पर कार्यवाही तब करेगी जब मामला मीडिया में उछल पड़ेगा। आखिर उन पुलिस वालो पर अपने कर्त्तव्य पूरा न करने की कोई कार्यवाही क्यों नही हुई जो इन भगवाधारी युवको को मौके से छोड़ देते है और पीड़ित को ही थाने लेकर चले आते है। सवालो के घेरे में कही न कही से पुलिस की कार्यप्रणाली भी है।

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