तारिक आज़मी की मोर्बतियाँ – अल्लह्ड बनारस की अक्खड़ होली, बहुत खली इसकी कमी
(तारिक आज़मी)
चलिए साहब, कारवा गुज़र चूका है अब गुबार देखते है। बनारस में होली के रंगों का समापन हो चूका है। अब शाम होने को है और हमारे जैसे चुटकी से होली खेलने वालो का समय आ गया है। चलिए सफेदी की चमकार के साथ अब निकल पड़ते है चुटकियो वाली होली के लिए। जहा हम एक दुसरे को चुटकियो से थोड़ी सी अबीर लगा कर गले मिल कर होली की बधाई दे देते है। वैसे रंगों से मुझको कोई एतराज़ कभी नही रहा मगर कमबख्त इसको बदन से छुडाने में चमडिया छिल जाती है। बस वो रंग छुडाने की जद्दोजहद ही रंगों से परहेज़ का सबब बन जाता है।
खैर साहब, होली के रंग ख़त्म हुवे घंटो गुज़र चुके है। सड़के लाल नीली पीली बनकर इस बात की गवाही दे रही है कि बनारस में भी जमकर होली खेली गई है। मगर हकीकत बताऊ अब रंगों में वो रंग नही रहे जिनके लिए मशहुर होती थी बनारस की होली। वो अल्लह्ड बनारस की अक्खड़ होली न जाने कहा नशे के धुंध में खो गई है।
सच बताता हु बनारस की होली दुनिया में मशहूर थी। गलियों की और गालियों की होली के बीच कभी फूहड़ता नही रहती थी। वो काल कलअऊटी जैसी टोली बनाकर हाथो में हर्बल रंग लिए पुरे होशो हवास में एक दुसरे को मुहब्बत के रंगों से सराबोर करने वाली होली कही दुसरे लोक की बात नज़र आती है अब।
अब तो बस सडको पर गाडी के सयलेंसर निकाल कर, अजीबो गरीब बाल आर्टिफिशियल बाल और पोशाक के साथ आधे नंगे होकर नशे में सराबोर नवयुवको को देख कर खुद के बुज़ुर्ग हो जाने का अहसास करवाती है। नशे में सराबोर ये युवको को देखे और इनसे अगर आपने कहा भी कि नशा नही करना चाहिये तो आप निश्चिन्त रहे। बहुत कम अगर हुआ तो आपको एक घंटे का नशे पर लेक्चर देकर आपको इसका अहसास करवा देंगे कि उन्होंने नशा नही किया है बल्कि बस मूड फ्रेश करने को बीयर पिया है। कही किस्मत ख़राब निकली तो आपके सामने चड्ढी पहन कर खेला बच्चा जो जवानी के दहलीज़ पर कदम रख चूका है आपकी इज्ज़त का बीच चौराहे पर कचरा कर देगा।
होली वो भी थी जिसमे शब्द जैसे भी हो मगर शालीनता होती थी। होली अब भी है जहा एक दुसरे के कपड़ो को फाड़ कर एक दुसरे को रंग दिया जाता है। नशे में धुत होकर सडको पर अश्लीलता शायद हमारे संस्कारों में नही थी, मगर फिर भी न जाने कहा से आ गई। बनारस तो बहुत ही अल्ल्हड़ और अक्खड़ मिजाज़ का शहर हुआ करता था। यहाँ सिर्फ पानी लिए या फिर गंगाजल लिए बहने वाली गंगा के अलावा एक और गंगा मस्ती की इस शहर में बहती है। धीरे धीरे करके ये मस्ती की गंगा सिमट कर डिजिटल होती जा रही है। अब पड़ोस और मोहल्ले वालो को छोड़े साहब एक छत के नीचे रहने पर भी व्हाट्सअप स्टेटस और मैसेज से एक दुसरे को बधाई सन्देश भेज कर काम चला लिया जा रहा है। चलिए साहब मुझको और कोई भाषा आती नही है तो इसी भाषा में बात करते हुवे होली की मुबारकबाद दे देता हु। होली उनको मुबारक हो जो अपने परिवार के साथ आज मस्ती के चंद लम्हे बिता रहे है। उनको थोडा ज्यादा मुबारक हो जो हमारे त्योहारों की रक्षा के लिए अपने परिवार को छोड़ सडको पर हमारे लिए सुरक्षा व्यवस्था देख रहे है। सबसे अधिक उनको होली की बधाई जो अपने परिवार घर शह सब छोड़ कर सरहद पर गोलियों को झेल रहे है ताकि हम मुस्कुरा सके। तो थोडा आप भी मुस्कुरा ले, तो मुस्कुराइये आप बनारस में है। बधाई उनको भी चुटकियो से जो आज परिवार के साथ होते हुवे भी नही है और साथ रह रहे भाई बहनों को भी सोशल मीडिया के स्टेटस और मैसेज से बधाई भेज रहे है। बधाई उनको भी जो सडको पर आज लुढ़क लुढ़क कर होली मना रहे है। बधाई हो बनारस की बदलती होली की। देखिये ये रंग ऐसा न बदले की बदलाव की बयार में हम बदलते बदलते विदेशी और पाश्चात्य संस्कृति के हिस्सा बनते जाये।
बस एक चुटकी अबीर के साथ आप सभी सुधि पाठको, मेरे चाहने वालो, गुरुजनों, परिजनों को होली की हार्दिक शुभकामनाये। एक चुटकी अबीर विशेष रूप से हमारे विज्ञापन दाताओ के लिए बधाई के साथ आपके सहयोग से हमारा कठिन सफ़र आसन हो रहा है। दुनिया के सभी रंग और खुशियों की सौगात आपको ईश्वर, अल्लाह, गॉड प्रदान करे। ढेर साड़ी होली की शुभकामनाये सरहदों पर हमारी हिफाज़त में अपने प्राण दाव पर लगाये हमारे वीर सैनिको और उनके परिजनों को।