भदोही में सस्ते गल्ले से गरीबों का नहीं, कोटेदारों का भर रहा है पेट

प्रदीप दुबे विक्की

ज्ञानपुर, भदोही। गरीबों को भरपेट भोजन मिले, इसके लिए सस्ते गल्ले के दुकानो के बंदोबस्त किये गए हैं। और इसका जिम्मा पूर्ति विभाग को सौंपा गया है। लेकिन गरीबों के पेट भरने के लिए जिस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है वहीं विभाग भ्रष्टाचार के अकंठ काली गंगा में डूब चुका है। जिसके चलते भदोही शहर में लम्बे समय से कोटेदारों द्वारा गरीबों के निवाले पर डाका डाला जा रहा है। सस्ते गल्ले की दुकान से गरीबों का नहीं बल्कि कोटेदारों का पेट भर रहा है। भदोही शहर में गरीबों के निवाले पर डाका डालने का खेल लम्बे समय से चल रहा है। इसके बावजूद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि इन गरीबों के हक की आवाज उठाने में भी कंजूसी दिखा रहे हैं। जिसके चलते दिन-प्रतिदिन कोटेदार जहां राशन के काला बाजारी से मालामाल हो रहे हैं, वहीं गरीब राशन कार्ड धारक अपने हक के लिए इधर-उधर भटक रहा है। इस पूरे खेल में जिलापूर्ति विभाग की महत्वपूण भूमिका बतायी जा रहा है। कोटेदार सरकार को भी बदनाम कर रहे हैं। गरीब कार्ड धारकों से कोटेदार कहते हैं कि इस बार शासन ने राशन में कटौती की है। ऊपर से उन्हे राशन कम दिया जा रहा है। कार्ड धारकों को कुछ इसी तरह की बातों से गुमराह कर कोटेदार यूनिट से राशन न बांटकर बल्कि प्रति कार्ड पर पांच किलो चावल व दस किलो गेहूं थमाकर रास्ता दिखा दे रहे हैं। यह खेल भदोही शहर में लम्बे समय से कोटेदारों द्वारा खेला जा रहा है। लेकिन गरीबों के इस बड़े मुद्दे पर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पूरी तरह खामोशी बनाये हुए हैं। वहीं गरीबों के राशन की व्यवस्था को बेहतर बनाये रखने के लिए जिस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है वही विभाग इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड है। जिसके चलते कोटेदार गरीबों के हक पर खुलेआम डाका डाल रहे हैं। अब देखना यह है कि गरीबों के हक की लम्बी-चैड़ी बात करने वाले चुनावी नेता क्या इस बड़े मुद्दे को चुनावी मुद्दे में शामिल करते हैं, या फिर यूं ही राशन माफियाओं के कदम से कदम मिलाकर गरीबों के हक को लूटते रहने की छूट देते हैं।

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