केंद्र व प्रदेश सरकार के द्वारा ग़रीबो के लिए चलाई जा रही स्वास्थ्य योजनाओं को पलीता लगाते सीएचसी पलिया के डॉक्टर
दोपहर दो वजे पहुँची दर्द से चिल्लाती प्रेग्नेंट महिला को डॉक्टरों ने ड्यूटी खत्म होने के बाद देखने से किया मना
फारुख हुसैन
पलियाकलां-खीरी। गुरूवार की दोपहर पलिया के सरकारी अस्पताल में लेबर पेन से तड़पती अपनी पत्नी दिव्या (26) को भर्ती कराने पहुंचे मोहल्ला किसान द्वितीय के रवि को महिला डाक्टर शिल्पी श्रीवास्तव ने देखने के बाद एनस्थीसिया डाक्टर मनीष की आवश्यकता को समझते हुये दिखाने के लिए लिख दिया। जिसकी सूचना मरीज के परिजनों द्वारा एनस्थीसिया डाक्टर को दी गई।
मगर डाक्टर ने मरीज से कहा अब दो बज गये है। तीन बजे आना फिर देखता हूं। जिसके बाद डाक्टर अस्पताल से चले गये। लेबर पेन का इंजेक्शन लगने के बाद मरीज तीन बजे तक अस्पताल मे दर्द से कराहती रही। इसकी सूचना मरीज के पति द्वारा मीडिया कर्मियों को दी गई। मीडिया कर्मियों ने हॉस्पिटल पहुचकर डाक्टर मनीष से बात की और बताया कि महिला को अधिक दर्द होने की वजह से लगातार हालत बिगड़ती जा रही है मगर डॉक्टर मनीष महिला की सास के द्वारा बार बार हाथ जोड़ कर विनती करने के बाद भी अस्पताल में कोतवाली से लाये गये अपराधियों के मडिकल बनाने में मशगूल रहे।
जब कई बार मीडिया कर्मियों द्वारा डाक्टर से मरीज को देखने को कहा गया। तो उन्होने ने कहा मरीज ही देख रहा हूं। जब खाली हो जाउंगा तब देखूंगा। मीडिया कर्मियों के बार बार महिला को देख लेने के लिए कहने पर काफी देर बाद डॉक्टर ने महिला का ऑपरेशन किया जिसके बाद गर्भवती महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया है। डाक्टर की इस हरकत की वजह से अस्पताल में मौजूद सभी मरीजों ने निन्दा की है।
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है।इन डॉक्टरो के द्वारा मरीज को देखे बगैर अन्य जगहों पर भेज दिया जाता है।सरकार की योजनाओं के लाभ की आस लगाए गरीब मरीज जब सरकारी अस्पताल पहुँचता है।तो वह अपने आप को ठगा सा महसूस करता है।क्योंकि डॉक्टरों के द्वारा मरीज को अस्पताल से दवा न देकर अस्पताल के बाहर से महँगी दवाइयों का पर्चा सरकारी डॉक्टरों के द्वारा पकड़ा दिया जाता है। अब ज़रा पत्रकारों ने जब अधिकारियो को फोन किया तो उधर से आने वाले जवाब पर नज़र डाल ले.
सीएचसी अधीचक पलिया-अभी डॉक्टर मनीष से बात करता हूँ।
सीएमओ खीरी-नाट रिचेबल
असिस्टेंट सीएमओ खीरी-अभी डॉक्टर को फ़ोन कर के जानकारी लेता हूँ।
अब आप खुद इन जिम्मेदारो के जवाब को समझ सकते है. सीएम्ओ साहब का वैसे नंबर अधिकतर नाट रीचेबल ही बताता है साहब शायद नेटवर्क क्षेत्र के बाहर ही रहते होंगे. मगर कोई इनसे पूछे कि यदि ये खुद मरीज़ लेकर जाए और ऐसा व्यवहार इनके साथ हो जाए तो ये क्या करेगे ?