सीजेआई पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाने वाली माहिला ने लिखा सुप्रीम कोर्ट पैनल को चिट्ठी, कहा जांच से पहले ही मेरा चरित्र हनन किया गया
आफ़ताब फारुकी
सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ लगे कथित यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे को नियुक्त किया गया था। वरिष्ठता क्रम के मुताबिक वह सीजेआई के बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। उन्होंने बताया कि नंबर 2 जज होने के नाते प्रधान न्यायाधीश ने उन्हें शीर्ष न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा सीजेआई के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए नियुक्त किया।
न्यायमूर्ति बोबडे ने इस सम्बन्ध में बताया कि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एनवी रमन और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहाकि मैंने समिति में न्यायमूर्ति रमन को शामिल करने का फैसला किया है, क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं और न्यायमूर्ति बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला न्यायाधीश हैं।’
वही अब दूसरी तरफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीडन का कथित आरोप लगाने वाली महिला ने मामले की जांच के लिए बनाए गए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बोबडे पैनल को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में आरोप लगाने वाली महिला ने कई सवाल उठाए हैं। पैनल को लिखे खत में महिला ने कहा कि बिना उसकी बात सुने उसका चरित्र हरण कर दिया गया। इसके साथ ही लिखा गया है कि कानून के मुताबिक इन हाउस जांच पैनल में महिला सदस्य का बहुमत व बाहरी व्यक्ति नहीं हैं। वहीं शनिवार की सुनवाई के दौरान जजों व कानूनी अधिकारियों ने इसके पीछे साजिश की टिप्पणी की, जिससे वह भयभीत हैं।
साथ ही महिला ने शुक्रवार को इन हाउस जांच पैनल की सुनवाई में कानूनी जानकार की मदद की इजाजत देने और वीडियो रिकॉर्डिंग कराने की मांग की। महिला ने पैनल में जस्टिस रमना को शामिल करने पर भी ऐतराज जताया है। महिला का कहना है कि वह जस्टिस गोगोई के काफी करीब हैं।