नियमो की उड़ा धज्जियां, क्या आरओ पानी के नाम पर जारी है धोखा
फारुख हुसैन
पलिया कलां खीरी आप पानी पीने जा रहे हैं तो जरा संभलिए। पानी पीने से पहले जरा यह पता कर लें कि जो पानी आप पीने जा रहे हैं, वह स्वच्छ एवं पीने योग्य भी है या नहीं। शहर एवं आसपास के गांवों में आरओ (रिवर्स ओस्मासिस) के नाम पर लोगों को साधारण पानी ही पिलाया जा रहा है। जबकि दाम आरओ पानी के ही वसूले जा रहे हैं। कम गुणवत्ता होने के कारण इस पानी से लोगों में बीमारियां फैलने का डर भी बना रहता है। कमाल की बात यह है कि पानी के ये प्लांट बिना किसी लाइसेंस के ही शहर में चल रहे हैं।
गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत होना आम बात है। इसी किल्लत का फायदा उठाकर अनेक वाटर सप्लायर मोटा मुनाफा कमाने में लगे हैं। इन्हें लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा अपने व्यवसाय से मुनाफा कमाने की ज्यादा चिंता रहती है। इसी चक्कर में जैसा पानी मिल जाए, वैसा ही सप्लाई किया जा रहा है। भले ही उसमें फ्लोराइड या टीडीएस की मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही क्यों हो। स्वास्थ्य विभाग ने भी इनके विरुद्ध कार्यवाही करने पर मौन साधा हुआ है। इसी समस्या को पानी का व्यवसाय करने वाले लोगों द्वारा करीब दो दशकों से भुनाया जा रहा है और क्षेत्र में अनेक आरओ फिल्टर चिल्ड वाटर के प्लांट धड़ल्ले से चल रहे हैं। हालात ये हैं कि अब तक शहर ही नहीं, गांवों में भी ये आरओ फिल्टर चिल्ड वाटर वाले पीने के पानी की सप्लाई करने लगे हैं। मगर इनका पानी स्वच्छ, शुद्ध एवं पीने योग्य होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इनके पानी में जल जनित बीमारियों के बैक्टिरिया पाए जाते हैं। जिससे पीलिया, हैजा, डायरिया व टाइफाइड जैसी भयानक बीमारियां हो सकती हैं।
ये प्लांटों से पानी लेकर कैन द्वारा शहर में वाटर सप्लाई का कार्य करते हैं। गर्मी के सीजन में पीने के पानी की खपत अधिक होने से अनेक आरओ उतना पानी फिल्टर ही नहीं कर पाते हैं, जितना पानी आपूर्ति किया जा रहा है। उस पर भी बिजली कट लगना या खराबी के कारण पूरी-पूरी रात बिजली नहीं आने के बावजूद भी वाटर सप्लाई में कोई कमी नहीं आती है और फिल्टर मशीन चलने के बावजूद भी आरओ फिल्टर का वाटर बताकर पानी बेचा जाता है।