पश्चिम बंगाल मुद्दे पर दिखाई दी विपक्ष की एकता, सभी ने किया चुनाव आयोग के फैसले का विरोध, विपक्ष के समर्थन पर ममता ने दिया धन्यवाद
तारिक जकी/ ए जावेद
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुद्दे पर एक बार फिर चुनाव आयोग विपक्ष के निशाने पर आ गया है। चुनाव आयोग ने आज शाम से पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के मद्देनज़र चुनाव प्रचार प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है। ये प्रतिबन्ध आज शाम से लागू होना है, जबकि गौरतलब है कि आज ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो बड़ी रैली पश्चिम बंगाल में है। भाजपा इस अंतिम चरण में होने वाले पश्चिम बंगाल के 9 सीटो पर मतदान को अपने पक्ष में मोड़ने की जुगत में है। ये प्रतिबन्ध शाम से चुनाव आयोग लागू कर रहा है यही फैसला अब विपक्ष के निशाने पर आ गया है।
चुनाव आयोग के इस कदम को तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बैनर्जी ने बीजेपी का दबाव बताया है। वही दूसरी तरफ ममता बैनर्जी के समर्थन में पूरा विपक्ष एकजुट खड़ा नज़र आ रहा है। इस विपक्ष की एकता पर ममता बैनर्जी ने बंगाल मामले पर समर्थन करने के लिए बाकी दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया और कहा है कि, ‘मायावती, अखिलेश यादव, कांग्रेस, चंद्रबाबू नायडू और बाकी सभी लोगों को हमारा और बंगाल के लोगों का समर्थन करने के लिए धन्यवाद। बीजेपी के दबाव में चुनाव आयोग ने जो पक्षपाती फैसला किया है वह लोकतंत्र पर सीधा हमला है। जनता इसका मुंहतोड़ जवाब देगी।’
क्या कहा मायावती ने
वहीं बंगाल में बैन लगाने के चुनाव आयोग के कदम पर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, ‘बंगाल में पीएम मोदी की दो रैलियां हैं, प्रचार पर सुबह से क्यों नहीं बैन लगाया गया। चुनाव आयोग दबाव में काम कर रहा है।’ मायावती ने कहा कि चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में प्रचार पर गुरुवार रात 10 बजे से प्रतिबंध लगाया है, क्योंकि प्रधानमंत्री की दिन के वक्त दो रैलियां हैं। अगर उन्हें प्रतिबंध लगाना ही था, तो आज सुबह से ही क्यों नहीं ? यह पक्षपातपूर्ण है, और चुनाव आयोग दबाव में काम कर रहा है।’
कांग्रेस भी है ममता के समर्थन में
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘लोकतंत्र के इतिहास में आज काला दिन है। पश्चिम बंगाल पर चुनाव आयोग के आदेश में अनुच्छेद 14 और 21 के अंतर्गत जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन नहीं हुआ है तथा आयोग ने सबको समान अवसर देने के संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन भी नहीं किया। यह संविधान के साथ किया अक्षम्य विश्वासघात है।’