और आखिर ख़ारिज ही हो गया बर्खास्त BSF जवान तेज बहादुर का पर्चा, बोले सपाई लोकतंत्र की हुई है हत्या
तारिक आज़मी
वाराणसी। बीएसऍफ़ के बर्खास्त जवान नामांकन आखिर काफी जद्दोजहद के बाद ख़ारिज हो ही गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने पर्चे को अभी अभी ख़ारिज कर दिया है। पर्चा खारिज करने के कारण जो बताये जा रहे है वह है कि जिस एनओसी की मांग जिला निर्वाचन अधिकारी ने किया था और जिसको आज जमा करने की बात सामने आई है उसको आखिर परचा दाखिला के समय क्यों नही लगाया गया।
बताते चले कि सेना में खाने के सम्बन्ध में भ्रष्टाचार का आरोप लगते हुवे अपना वीडियो वायरल करने वाले तेज बहादुर यादव को सेना से बर्खास्त कर दिया गया था। तेज बहादुर का आरोप है कि इस दौरान उनके बेटे की भी हत्या हो गई थी। इस सबके बाद तेज बहादुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने चुनावी जंग में कूद पड़े। उन्होंने पहले अपना नामांकन बतौर निर्दल प्रत्याशी किया था। परचा दाखिला के अंतिम दिन सपा ने बड़ा सियासी दाव खेलते हुवे तेज बहादुर को टिकट प्रदान कर दिया था। सपा के तरफ से शालिनी यादव ने भी नामांकन किया था और तेज बहादुर ने एक सेट और नामांकन कर दिया था।
नामांकन के बाद से ही राजनितिक रस्साकशी का दौर चल पड़ा था। सोशल मीडिया पर तेज बहादुर को देश द्रोही तक की बाते करने वाले दल विशेष के समर्थको की कमी नही रही। कल शाम से चले नामांकन के वैधता और अवैधता की रस्साकशी में आज आखिर लगभग तीन बजे करीब जिलाधिकारी वाराणसी ने अपना अंतिम फैसला सुनाया और तेज बहादुर का नामांकन ख़ारिज कर दिया। इस नामांकन ख़ारिज होने को लेकर सियासी अमले में काफी चर्चाये जहा है वही आज जनता भी इस मामले में चर्चोओ और आलोचनाओ में मशगुल है।
तेज बहादुर के अधिवक्ता राजेश गुप्ता ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुवे कहा कि अमित शाह ने 29 मई को रात में वाराणसी आकर गुप्त दौरा किया था और जिला अधिकारी उनके कहे अनुसार ही चल रहे है। भाजपा को तेज बहादुर से हार का खौफ दो दिनों से सोने नही दे रहा था। यही नही एक षड़यंत्र के तहत तेज बहादुर का परचा ख़ारिज कर दिया गया है।
वही इस प्रकरण में स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने कहा कि देश में एक अघोषित आपात काल की स्थिति है। यहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिटलर के तरह काम कर रहे है। देश की जनता 70 सालो में पहली बार गुलाम हुई है। यहाँ जेल में बैठे हत्या और अन्य जघन्य अपराध के आरोपी अतीक अहमद का परचा ख़ारिज नही होता है जबकि अन्य सभी पर्चे ख़ारिज हो जाते है। उसका कारण एक मात्र ये है कि अतीक अहमद मुस्लिम मतों को काटेगे और इससे भाजपा को फायदा होगा। जो भाजपा के मतों पर दावा करने वाले प्रत्याशी थे उनका नामांकन जिलाधिकारी ने षड़यंत्र के तहत निरस्त कर डाला है। चुनाव के नाम पर केवल तानाशाही चल रही है।
वही सपा समर्थको और तेज बहादुर के साथ आये फौजियों ने मौके पर हंगामा करने की कोशिश किया मगर सुरक्षा कर्मियों ने उनको कचहरी परिसर से बाहर निकाल दिया। माहोल में शांति तो है मगर इस प्रकरण पर जहा भाजपा समर्थक ख़ुशी का इज़हार करते दिखाई दे रहे है वही गली नुक्कड़ पर भी अन्य दलों के समर्थक इसकी आलोचना कर रहे है। बताते चले कि कुल 119 नामांकनों ने से मात्र 30 नामांकन वैध पाए गए है। बकिया 79 नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया है। निरस्त हुवे नामांकन पत्रों पर प्रत्याशियों और समर्थको द्वारा जिला अधिकारी की आलोचना हो रही है।