चंदौली – देखे वीडियो, मतगणना स्थल पर आई ईवीएम बनी विवाद का कारण, प्रशासन ने कहा सुरक्षित, प्रत्याशी बोले नही संदिग्ध ईवीएम है, आखिर झुका प्रशासन, हटवाया ईवीएम
ए जावेद
वाराणसी. लगातार विवादों और आरोपों के घेरे में रही ईवीएम इस लोकसभा चुनाव में भी विवाद और संदिग्धता को लेकर चर्चा में आ गई। वैसे तो इस मामले में कभी पूर्वांचल में कोई घटना नही हुई मगर इस बार इसने वाराणसी के पडोसी जिले चंदौली को ज़द में क्या लिया पुरे पूर्वांचल में हडकम्प मचा हुआ है। इस मामले में गाजीपुर में जहा गठबंधन प्रत्याशी और बाहुबली मुख़्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी धरने पर बैठे है वही अन्य जनपदों में भी सभी प्रत्याशी अब रतजगा करके ईवीएम की सुरक्षा में लग गए है।
हुआ कुछ इस तरह कि चंदौली जिले की मंडी समिति में आज उस समय हंगामा मच गया जब जिला प्रशासन ने मतगणना केंद्र पर कुछ ईवीएम को रखना शुरू कर दिया। मामले में ईवीएम की सुरक्षा में खड़े अन्य दलों के समर्थको ने तत्काल इसकी जानकारी अपने अपने प्रत्याशियों को दिया। फिर क्या था देखते देखते मौके पर भीड़ इकठ्ठा होने लगी और गठबंधन तथा कांग्रेस प्रत्याशी अपने अपने समर्थको के साथ पहुच गए। जहा एक तरफ प्रत्याशियों और समर्थको का कहना था कि ये ईवीएम घोटाला करने के लिए लाइ गई संदिग्ध ईवीएम है वही दूसरी तरफ प्रशासन का कहना था कि सकलडीहा तहसील की रिजर्व मशीनों को लाकर यहाँ रखा गया है। प्रशासन ने यह स्वीकार किया कि बिना राजनीतिक दलों के नेताओं की सहमति के मतगणना केंद्र पर इस ईवीएम मशीनों को रखना शुरू कर दिया गया था।
मामले की जानकारी जैसे जैसे फैलती गई मौके पर भीड़ जुटती गई और हंगामे की स्थिति हो गई। इस दौरान कई तरह की नारेबाजी भी होने लगी। मौके पर पहुंचे कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष देवेंद्र प्रताप सिंह मुन्ना और सकलडीहा के सपा विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव ने अधिकारियों को खूब खरी-खोटी सुनाई और ईवीएम मशीन को तत्काल हटाने की मांग को लेकर धरना दे दिया। हालांकि मंडी समिति में मौजूद अधिकारी कांग्रेस और सपा के नेताओं को समझाने की कोशिश करते रहे कि ईवीएम कोई संदिग्ध नही है बल्कि सुरक्षित ईवीएम है। लेकिन दोनों नेताओं ने एक ही बात नहीं मानी और मौके पर डटे रहे।
मामला बढ़ता देख मौके पर जिला अधिकारी के साथ-साथ पुलिस अधीक्षक भी आ धमके और विधायक के साथ बातचीत करने के बाद इस बात पर सहमति बनी कि सुरक्षित ईवीएम मशीनों को फिर से वापस किसी अन्य स्थान पर भेजा जाएगा। इसके लिए दोनों प्रत्याशी समय देने को भी तैयार नही हो रहे थे। अंततः नेताओ का विरोध काम आया और प्रशासन ने अपनी जिद्द छोड़ी तथा ईवीएम को हटाने पर तैयार हो गया। इतना ही नहीं आरक्षित रखी गई मशीनों को जिला प्रशासन को पुनः किसी और वाहन पर लादकर किसी अन्य स्थान पर ले गए।
नियमो को अगर ध्यान से देखे तो सुरक्षित रखी जाने वाली ईवीएम को पोलिंग खत्म होने के बाद वापस जमा करवा दिया जाता है। अब जब 24 घंटे बीत गए थे तो फिर प्रशासन द्वारा बिना राजनितिक दलों के सहमती के बगैर उसको मतगणना स्थल पर रखा जाना एक शंका पैदा करने वाला था। वही प्रशासन इस बात का भी नेताओ को जवाब नही दे पाया कि पिछले 24 घंटे तक ये सुरक्षित ईवीएम कहा थी। जिन मशीनों को कल ही जमा करवा दिया जाना चाहिये था वह आज कैसे आई। आखिर ईवीएम इतने घंटो तक किस जगह और किसके पास थी।