स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद रहेगे 17 मई तक सडको पर नहीं जायेगे आश्रम, करेगे काशी की जनता को जागृत, बोले स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद सत्य की धरती पर झूठ दुबारा नही जीत सकता

तारिक आज़मी

वाराणसी। मंदिर बचाओ आन्दोलन के प्रमुख, काशी में धर्म और शिक्षा में अपना स्थान रखने वाले स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद आज शाम को 4:30 बजे अपने धरना स्थल कचहरी परिसर से तो उठ गए मगर उन्होंने आज वही प्रण लिया है कि मैं 17 मई तक आश्रम नही जाऊँगा। 30 अप्रैल को शाम 6 बजे से अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठे स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद से प्रशासन ने कोई बात नही किया। यही नही उनसे वार्ता हेतु कोई भी प्रशासनिक प्रतिनिधि नही आया। इसको विरोध प्रदर्शन कहे अथवा धरना कहे लगभग २२ घंटे तक एक संत अपनी मांग को लेकर धरने पर बैठा रहा मगर प्रशासन के स्तर पर कोई वार्ता नही हुई।

इस प्रकरण को लेकर शहर में चर्चाओ का दौर जोरो शोर से चल रहा है। कोई इसको प्रशासनिक हठधर्मिता कह रहा है, तो कोई इसको शासन का दबाव कह रहा है। वही सत्ता के समर्थक इसको न्यायोचित की पदवी भी दे रहे है। बहरहाल, स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने आज धरना स्थल छोड़ कर कचहरी परिसर से प्रस्थान किया। इस प्रस्थान को करने के पूर्व उन्होंने घोषणा किया कि वह अपने आश्रम 17 मई तक नही जायेगे बल्कि शहर में ही विचरण करेगे। इस दौरान वह काशी की जनता को इस अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध जागृत करेगे।

आश्रम द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार आज रात्रि विश्राम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती लहुराबीर स्थित भारत धर्म महामंडल में करेंगे और कल शाम तक यही प्रवास करेंगे। फिर कल सायंकाल नगर के किसी अन्यत्र स्थान पर भ्रमण कर पहुचेंगे। फिर उसी स्थान पर रात्रि विश्राम करेंगे। इस दौरान स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद आम जनता को अन्याय का प्रतिकार कर लोकतंत्र को बचाने हेतु जागरूक करेंगे। यह सिलसिला लगातार 17 मई तक चलता रहेगा।

कहा नही ख़ारिज हुआ है श्रीभगवान का पर्चा

उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय रामराज्य परिषद् समर्थित प्रत्याशी श्री भगवान् का पर्चा खारिज नहीं किया गया है बल्कि किसी भगवान् पाठक नाम वाले व्यक्ति का खारिज किया गया, नोटिस हमको दे दिया गया है। जो पूर्ण रूप से प्रशासन की गलती है। अतः हम अब यह मांग कर रहे हैं कि सूची में हमारा नाम चढाकर हमें चुनाव चिह्न प्रदान किया जाए ताकि हम चुनाव प्रचार कर सकें।

बताया कारण कि जब नामांकन 29 अप्रैल को हुआ तो नोटिस में 27 तारीख कैसे लिखा गया?

प्रशासन की एक और गलती इस सम्बन्ध में सामने आई है कि जो नोटिस दी गयी है उसमें 27 अप्रैल 2019 लिखा है, जबकि श्री भगवान् ने अपना नामांकन 29 अप्रैल 2019 को किया। नामांकन के पहले ही नोटिस देकर प्रशासन ने गलती की है, जो कि किसी भी स्थिति में अस्वीकार्य है।

लोकतन्त्र की रक्षा के लिए हमारा समर्थन विपक्षी को रहेगा

उन्होंने कहा कि इस समय देश में सब ओर तानाशाही चल रही है। भारत से लोकतन्त्र समाप्त हो रहा है। इसलिए यह अब आवश्यक हो गया है कि सभी विपक्षी दल एक हो जाएँ और सारे मतभेद भुलाकर एक होकर इस तानाशाह को काशी से भगाएं तो हम समर्थन करेंगे।

होगा मतदान का बहिष्कार

उन्होंने कहा कि यदि विपक्षी दल एक न हों तो हम मतदान का बहिष्कार करेंगे और लोगों से भी हम यह अपील करेंगे कि वे भी मतदान का बहिष्कार करें। काशी का प्रशासन केवल ऊपरी इशारे पर काम करता हुआ दिख रहा है। क्योंकि यह अन्याय केवल हमारे प्रत्याशी के साथ ही नहीं अपितु अनेक निर्दल प्रत्याशियों के साथ हो रहा है।

उन्होंने कहा कि यह नियम है कि भगवान् व्यक्ति के अहंकार का भक्षण कर ही लेते हैं। बहुत दिनों तक कोई भी अहंकार नहीं चल सकता। इस देश में लोकतन्त्र है और लोकतंत्र की यह विशेषता है कि यहाँ पर चुनाव लड़ने का अधिकार सबको है। परन्तु प्रधानमंत्री के सामने कोई भी सामान्य व्यक्ति खडा ही न हो सके ऐसा करना सर्वथा अनुचित है। काशी नगरी सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र जी के सत्य के कारण प्रसिद्ध है। यहां का प्रतिनिधि झूठा व्यक्ति नहीं होना चाहिये। काशी के लोग इस बात को समझते हैं और अपना प्रतिनिधि झूठे व्यक्ति को दुबारे नहीं बनाएँगे ऐसा हमें विश्वास है।

उन्होंने कहा कि काशी की जनता को गंगा ने बुलाया है कहकर धोखा दिया गया और राम मन्दिर न बनाकर काशी के मन्दिरों को ही ध्वस्त कर दिया गया है। जनता इस बात को अब अच्छे से समझ चुकी है। उन्होंने कहा है कि वे 17 मई 2019 तक काशी की सडको पर पैदल भ्रमण करेंगे मठ नहीं जाएँगे। इस अन्तराल में वे जनता को जागरुक करेंगे और लोकतन्त्र को बचाने का हर सम्भव प्रयास करेंगे।

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