कुरान का पढ़ना, सुनना, देखना व छूना भी इबादत – हांफिज मो0 उमर
फारुख हुसैन
सिंगाही खीरी। माहे रमजान में सभी मस्जिदों में चल रही तरावीह मुकम्मल होने का सिलसिला शुरू हो गया है इसी क्रम में आज 20 वें रमजान को सिंगाही की जामा मस्जिद में कुरान बेलरायां के हांफिज मो0 उमर ने मुकम्मल कराई। वहीं सिंघा मस्जिद में बेलरायां के ही हाफिज मोहम्मद राशिद ने 19वें रमजान को कुरान मुकम्मल कराई हाफिज मोहम्मद उमर ने बताया कि रमजान माह इबादत का महीना है।
कुरान की अहमियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि कुरान कलामे इलाही है। इसका एक अक्षर न बदला है न बदलेगा। कुरान का पढ़ना, सुनना, देखना व छूना भी इबादत है। कुरान सिर्फ एक किताब ही नही, बल्कि इंसानी जिंदगी का आइना है। दुनिया की सारी समस्याओं का हल कुरान में मौजूद है। वहीं मोहम्मद राशिद ने तकरीर फरमाते हुए कहा कि रोजा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं, बल्कि तमाम बुरी इच्छाओं पर नियंत्रण का भी नाम है। कि इज्जत चाहिए तो दीन में पूरी तरह से दाखिल हों। नौजवानों को मासूम रोजेदारों से सबक लेना चाहिए। दीन से दूरी ही हमारी तबाही और जिल्लत की वजह है। विशेष नमाज तरावीह की नमाज के अंत में कौम और मुल्क की तरक्की की दुआएं मांगी गईं