बड़ा सवाल – मुख़्तार अंसारी के हाथी जैसे क्या दौड़ पायेगी बाहुबली अतीक की ट्रक
तारिक आज़मी
प्रयागराज : खुल्दाबाद थाना क्षेत्र के चकिया निवासी अतीक अहमद को जरायम की दुनिया में तमाम लोग ‘भाई’ भी कहते हैं। इस वक्त वह केंद्रीय कारागार नैनी की हाई सिक्योरिटी बैरक में कैद हैं, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात की जेल भेजने का आदेश दिया है, लेकिन इस पर अभी अमल नहीं हो पाया है। आज कल अतीक अहमद एक बार फिर चर्चा का बिंदु है। वाराणसी लोकसभा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ताल ठोक कर निर्दल प्रत्याशी के तौर पर “ट्रक” चुनाव निशान पाकर अपने लोगो के बल पर जेल में बैठ कर बनारस से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा माफिया डॉन आज कल सुर्खिया बटोर रहा है। बनारस में उसके जेल में रहते हुवे 29 अप्रैल को उसका परचा दाखिल हुआ। उसी दिन अतीक अहमद की ज़मानत की अप्लिकेशन ख़ारिज कर दी गई।
जानकार बताते है कि गुजरात जेल जाने से बचने के लिए अतीक ने एक बड़ा दाव खेला है। कम से कम चुनावों तक अपने को नैनी जेल में रखकर अतीक समय बिताना चाहते है। जानकार तो यह भी बताते है कि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाल कर अतीक खुद को समाजसेवक बताते हुवे फैसले पर विचार का निवेदन सुप्रीम कोर्ट से करने का ग्राउंड बनाने के फिराक में वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़कर खुद को समाजसेवक की श्रेणी में खड़ा करना चाहता है।
वही वाराणसी के मशहूर अडियो पर इस बात पर भी चर्चा है कि अगर अतीक अपना नामांकन प्रयागराज अथवा फूलपुर लोकसभा से करके चुनावों में दंभ भरे होते तो एक बार फाइट की स्थिति बनती ज़रूर। मगर वाराणसी अतीक ने केवल इसलिए चुना कि वाराणसी में मुस्लिम मतदाता जो लगभग तीन लाख है के मतों को अपने तरफ मोड़ सके। अगर अतीक ऐसा करने में कामयाब हुआ तो ये भाजपा के लिए फायदे का सौदा होगा। इस पोलिटिकल गेम से खुद को राजनीतिज्ञ तौर पर सुरक्षित करने के लिए अतीक ने शायद बनारस से नामांकन किया होगा।
आखिर कहा से आये अतीक के प्रस्तावक
जेल में बंद अतीक का परचा वाराणसी में दाखिल करने के लिए विशेष रूप से प्रयागराज से तीन व्यक्ति आये थे। महँगी और मजबूत गाडी से आने वाले ये तीनो व्यक्ति नामांकन स्थल पर लगभग 2:55 पर पहुचे थे। तीन लोगो में एक अधिवक्ता भी थे। वाराणसी न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले एक अन्य मशहूर अधिवक्ता ने फार्म जमा करवाया था। इस दौरान अतीक के प्रस्तावक के तौर पर कुल दस लोग कौन है ये चर्चा का विषय रहा है। अपराध जगत में बड़ा नाम रखने वाला ये माफिया अपना साम्राज्य बनारस में नही जमा सका था ये बात प्रशासन मानता है। फिर आखिर अतीक के ये प्रस्तावक कहा से आये एक गंभीर प्रश्न हो सकता है।
ख़ास तौर पर उस घटना के मद्देनज़र तो और भी गंभीर विषय हो सकता है जब अतीक पर कुछ समय पहले लखनऊ के एक व्यापारी ने गंभीर आरोप लगते हुवे कहा था कि उसको अतीक ने उठवा कर जेल में उसकी पिटाई किया है, इस घटना का संज्ञान लेते हुवे तत्कालीन देवरिया जेल कर्मियों पर गाज भी गिरी थी। वही मामले में संज्ञान लेते हुवे उत्तर प्रदेश पुलिस मुखिया ने मुकदमा दर्ज करवाने का आदेश भी दिया था। मामले में विवेचना आज भी प्रचलित है। मामले में एक अन्य आरोपी अतीक का बेटा भी है।
सोशल मीडिया पर भी है अतीक का चर्चा
अतीक अहमद इज क्रिमिनल गैंगस्टर, वर्क एट द किलर्स, अतीक अहमद डॉन ऑफ इलाहाबाद….. जी हां, फेसबुक पर पूर्व सांसद अतीक अहमद का नाम सर्च करते ही उनकी तस्वीर लगी कई प्रोफाइल नजर आती है। उसमें क्रिमिनल, किलर्स से लेकर डॉन तक लिखा हुआ है। इतना ही नहीं कुछ एकाउंट पर असलहों की तस्वीर के साथ आपत्तिजनक पोस्ट भी है, जिस पर तमाम यूजरों ने कई तरह के कमेंट भी किए हैं।
वैसे बताते चले कि तमाम ऐसे भी लोग हैं, जो अतीक अहमद से ठीक से परिचित नहीं है। वह अतीक को जानने के लिए इंटरनेट और फेसबुक का भी सहारा ले रहे हैं। फेसबुक के कुछ यूजर उस वक्त असमंजस में पड़ गए, जब पूर्व सांसद के नाम से कई प्रोफाइल दिखी। असली एकाउंट कौन सा है, यह साफ नहीं है। वैसे बताते चले कि फूलपुर से सांसद रह चुके अतीक जेल के भीतर से ही चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में उनके नाम से बने फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया एकाउंट पर पुलिस के साइबर सेल की नजर है। पुलिस का कहना है कि अतीक अहमद के नाम से प्रोफाइल और पेज बने हैं, किसी में पब्लिक फिगर, किसी में सांसद तो किसी में उन्हें किलर्स बताया गया है।