प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नामांकन पत्र में है बड़ी खामिया, उनका भी नामांकन रद्द करे चुनाव आयोग – स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद

तारिक आज़मी

वाराणसी. मंदिर बचाओ आन्दोलन के प्रमुख स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद सरस्वती ने आज एक प्रेस वार्ता करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नामांकन पत्र में मुलभुत 21 खामियों को उजागर करते हुवे जिला निर्वाचन अधिकारी पर सत्ता पक्ष के दबाव में अपने तथा अन्य प्रत्याशियों के नामांकन ख़ारिज करने का बड़ा आरोप लगाया है। इस दौरान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के भरे हुवे फार्म की प्रति को पत्रकारों को दिखाते हुवे स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने कहा कि कक्षा 8 पास मोदी हमारे प्रत्याशी जो ५ बार गोल्ड मेडलिस्ट है के विरुद्ध अपनी हार को आसीन देख कर सत्ता का नाजायज़ दबाव डाल कर जिला निर्वाचन अधिकारी से उनका नामांकन ख़ारिज करवाया है।

उन्होंने बताया कि हमारे प्रत्याशी द्वारा एक कालम के 5 उत्तरों को एक साथ “लागू नही” जवाब के कारण ख़ारिज करते हुवे बचकाना बयान दिया कि अलग अलग इसको लिखना चाहिये था। परन्तु नियमो को दरकिनार करने वाले जिला निर्वाचन अधिकारी ने शायद उस बारीकी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्चे को नही देखा है। अगर इसी नियम से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्चे को देखा होता तो उनके पर्चे में मूलभूत नियमो की धज्जिया उड़ाने वाले कुल 21 बिंदु थे और इसके आधार पर उनका निर्वाचन ख़ारिज हो जाता। उन्होंने पत्रकारों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा दाखिल पर्चे में कुल 21 बिन्दुओ के सम्बन्ध में बताया जो नियमो के विरुद्ध है।

उसमें सबसे प्रमुख बिंदु बताया कि सभी प्रत्याशियों को ट्रेजरी में 25000 रुपया जमा करने के बाद फार्म पर प्रत्याशी के नाम और नंबर लिखकर परचा आवंटित किये गए हैं, जबकि नरेंद्र मोदी ने जो फार्म जमा किया है वह कंप्यूटर से प्रिंट करके निकाला गया है और उस पर न तो निर्वाचन कार्यालय द्वारा कोई नंबर पड़ा है, और न ही वह निर्वाचन कार्यालय से उपलब्ध कराया गया है। बनावटी फॉर्म कैसे स्वीकार किया जा सकता है, जिसके कई हिस्से मूल फॉर्म से अलग हैं ? इसका तात्पर्य हुआ कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद को नियमो से ऊपर समझते है और वाराणसी के जिला निर्वाचन अधिकारी उनके दबाव में काम कर रहे है।

उन्होंने प्रधानमंत्री के नामांकन फार्म के सम्बन्ध में बताया कि जहां पर कई विकल्प देकर फार्म में उनमें से लागू न होने वाले विकल्प को काटकर इंगित करने का प्रावधान है, वहां नरेंद्र मोदी के फॉर्म में जो पहले से ही कंप्यूटर से मुद्रित फॉर्म है में वे विकल्प है ही नहीं और पहले से ही कटे दिखाए गए हैं। फॉर्म प्रिंट करने वाला मुद्रक स्वंय फॉर्म में दिये गए निर्देशों के अनुसार मुद्रण के समय ही काट छांट नही कर सकता। वह कार्य प्रत्याशी का है जो वह फॉर्म भरते समय करता है जो कि फॉर्म में नही किया गया है। उन्होंने उदाहरण देते हुवे बताया कि फार्म के पार्ट ए के आरम्भ में ही नरेंद्र मोदी की वल्दियत/सन/डॉटर/वाइफ में से एक विकल्प जिसे प्रत्याशी को चुनना है, उसे कंप्यूटर टाइप करने वाले ने ही चुन लिया है। प्रश्न यह है कि फॉर्म कौन भर रहा है ? नरेंद्र मोदी या कंप्यूटर डेटा ऑपरेटर ? इसी तरह पार्ट 4 धारा 1 तथा धारा 3 के उत्तर में भी देखा जा सकता है। उपर्युक्त सभी तीन जगहों पर काट दिए गए स्थानों पर स्वंय कलम द्वारा अभ्यर्थी को काटने का कार्य करना चाहिए यदि कंप्यूटर से ही करना हो तो फॉर्म भरने का क्या मतलब है?

स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ पत्र 26/4/ए में पांच और पांच कुल दस रुपये के नोटरीयल टिकट लगाए गए हैं पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुवे कहा कि नोटरी टिकट कैंसिल किया जाता है और नियमानुसार उन्हें शपथ पत्र के तैयार होते ही कैंसिल कर देना आवश्यक होता है, परन्तु उनके शपथपत्र उपर्युक्त में ऐसा नही किया गया है। इसका तात्पर्य ये हुआ कि नोटरी अधिनियम के  नियमो का उलंघन नोटरी में किया गया है। यही नही नियम है की नोटरी को अपनी मुद्रा संबंधित कागजात पर अंकित करते हुए उस पर अपने हस्ताक्षर के साथ दिनांक और समय को अंकित करना आवश्यक है परन्तु नरेंद्र मोदी के शपथ पत्र/पर्चे में समय का उल्लेख नोटरी द्वारा नही किया गया है जो कि त्रुटि है। अतः इस कारण से भी त्रुटिपूर्ण पर्चे को खारिज किया जाना चाहिये था ताकि एक नजीर कायम हो जाती जैसे एक जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री के हेलीकाफ्टर की तलाशी लेकर नियमो का पालन करते हुवे नजीर कायम किया था। परन्तु सत्ता के दबाव में बैठे जिला निर्वाचन अधिकारी ने ऐसा कुछ भी नही किया।

पत्नी का नही दिया है प्रधानमंत्री ने विवरण

उन्होंने प्रधानमंत्री के नामांकन फार्म पर दिये गए घोषणा के अनुसार बताया कि नरेंद्र मोदी ने स्पाउस के रूप में जसोदाबेन का नाम तो दिया है परंतु उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दिए है। यह कैसे संभव है कि व्यक्ति अपने स्पाउस के बारे में कुछ जानकारी न रखता हो। इसका सीधा सा मतलब हे कि वह चुनाव आयोग से जानकारी छुपा रहा है। जानकारी छुपाना निश्चित रूप से अपराध है इस कारण से भी यह पर्चा अवैध घोषित किया जाना चाहिए। परन्तु जिला निर्वाचन अधिकारी ने ऐसा नही किया और उनके पर्चे को ख़ारिज करने के बजाये हमारा प्रत्याशी श्री भगवान् के पर्चे को ख़ारिज कर दिया जिसमे कोई त्रुटी नही थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पत्नी जसोदाबेन की जानकारियां देते समय पांच कॉलम के लिए सिर्फ एक बार “नॉट नोंन” लिख दिया और ऐसा कोई चिन्ह नही बनाया गया है कि जिसमें प्रतीति या अनुमान हो कि यह उत्तर सभी पांचों कॉलमों के लिए है। जबकि हमारे प्रत्याशी का परचा ख़ारिज में जिला निर्वाचन अधिकारी ने इस बिंदु पर ही हमारा परचा ख़ारिज किया है कि हर एक कालम में अलग अलग एक ही शब्द भरने थे। हमारे द्वारा “लागू नही” शब्द सामान्य व्यवहार के तरह जिस प्रकार एक आड़ी लकीर के माध्यम से लिखा जाता है उसी आड़ी लकीर से लिखा गया। अगर ये गलत तरीका है तो ठीक है हमारा परचा ख़ारिज हुआ। मगर सवाल ये है कि फिर किस आधार पर प्रधानमंत्री का परचा ख़ारिज नही किया गया क्योकि उसी तरह प्रधानमंत्री ने भी एक लाइन में जवाब दिया और उन्होंने ऐसा कोई चिन्ह भी नही बनाया कि जिससे यह प्रतीत होता कि यह जवाब सभी कालम के लिए है। फिर आखिर जिला निर्वाचन अधिकारी ने एक बिंदु पर ही दो अलग अलग नज़रिये क्या सत्ता के दबाव में अपनाये।

उन्होंने कहा कि यही नही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के शपथपत्र के पार्ट ए धारा 4 की तीसरी कंडिका में भी उपर्युक्त त्रुटि स्पष्ट रूप की गई है, जिसमे पांच कॉलम के लिए बिना किसी संकेत के केवल एक बार “नॉट एप्लीकेबल” लिखा है। आश्चर्य है कि स्वंय को न्यायप्रिय एवं दबाव में न होने की दुहाई देने वाले चुनाव अधिकारी ने पाँच कॉलम के लिए एक उत्तर में से पांचों का उत्तर किस आधार पर मान लिया?? जबकि इसी को हमारी त्रुटी बताते हुवे उन्होंने पर्चे को ख़ारिज कर दिया है। क्या दोहरा मापदंड अपना रहा है चुनाव आयोग।प्रधानमन्त्री ने शपथ पत्र भाग 4 की धारा 4 के जिज्ञास्य बिंदु 4 में भी इसी तरह की त्रुटि स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है। जहां पांच प्रश्नों के लिए एक ही उत्तर दिया गया है।  पांच प्रश्नों का एक ही उत्तर प्रत्याशी ने दिया और चुनाव अधिकारी ने वह उत्तर पांचों प्रश्नों के लिए किस आधार पर मान लिया। यदि एक दिया गया उत्तर पांचों के लिए था तो किस संकेत या कथन से उन्हें इस बात का पता चला? उन्हें अवश्य भारत की जनता को बताना चाहिए। वह बताएं या ना बताएं परंतु जिस आधार पर हमारे प्रत्याशी का पर्चा खारिज किया है उससे अधिक गलत नरेंद्र मोदी का पर्चा है अतः इसको अवश्य खारिज करना भारतीय लोकतंत्र और न्याय के हित में है।

ये घटनाएं देश के दुर्भाग्य को दर्शाएंगी और निर्वाचन सदन की चापलूसी को भी आने वाले सैकड़ो वर्षो में तक निर्वाचन के इतिहास अध्येताओं के समक्ष रेखांकित होंगी।

उठाया प्रधानमंत्री के चुनावी खर्च का मुद्दा

उन्होंने कहा कि वर्तमान में चुनाव आयोग द्वारा एक सांसद को अपने पूरे चुनाव में अधिक से अधिक 70 लाख रुपये खर्च करने की सीमा गनाई गई है। नरेंद्र मोदी ने पर्चा दाखिला के एक दिन पहले अपने रोड शो में करोड़ों रुपये खर्च और पर्चा दाखिला के दिन निजी विमानों से अपने समर्थन में अनेक विशिष्ट जनों को बुलाकर शक्ति प्रदर्शन किया। यदि पर्चा भरने के पहले दिन के रोड शो को लोग छोड़ भी दे तो भी पर्चा भरने के दिन प्रकाश सिंह बादल, उद्धव ठाकरे, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह आदि अनेक नेता आए थे। इनके चार्टड विमान के ख़र्चों, होटलों में रुकने , खाने पीने आदि को ही अगर देख लिया जाए तो यह खर्चा एक करोड़ से उपर चला जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि पहले ही दिन खर्च के लिए 70 लाख की निर्धारित अधिकतम राशि से अधिक खर्च उन्होंने कर दिया है। चुनाव आयोग को इस बारे में संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए। नोटिस देकर सही खर्च जानना चाहिए था परन्तु ऐसा कुछ नही हुआ। इस कारण से भी नरेन्द्र मोदी का पर्चा अवैध घोषित होना न्यायहित और चुनाव में अत्यधिक खर्च कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वालों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक  है।

उन्होंने कहा कि विधि की दृष्टि में सभी नागरिक का एक ही प्रास्थिति के हैं। विधि और निर्वाचन आयोग की दृष्टि में भी प्रत्याशी को एक जैसे होने चाहिए परन्तु जहां बाकी प्रत्याशियों को कई कई घण्टे लाइन में लगकर पर्चा भरने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी वहीं नरेन्द्र मोदी के आने पर बाकी प्रत्याशियों को बहुत दूर बेरिकट बनाकर रोक दिया गया ये आखिर दोहरा मापदंड क्यों ? जबकि आचार संहिता लगने के बाद जो अधिकार प्रधानमंत्री के पास है वैसा ही अधिकार सभी अन्य प्रत्याशियों के पास भी है।

स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने कहा कि इस सम्बन्ध में हमने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख कर सूचित किया है। हमने मांग किया है कि जैसे और जिन आधारों पर हमारे प्रत्याशी श्री भगवान् का नामांकन रद्द किया गया है वैसे ही आधार और उससे कही बड़े बड़े आधार है जिसके आधार पर प्रधानमंत्री का नामांकन रद्द किया जा सकता है। हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री का भी नामांकन रद्द करते हुवे वाराणसी के चुनावों को रद्द कर दूसरी चुनाव की तिथियों की घोषणा किया जाए जिससे निष्पक्ष चुनाव हो सके अन्यथा ये चुनाव नही बल्कि लोकतंत्र की हत्या है।

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