वाराणसी – अगर ज़मानत नही मिली तो नहीं लड़ेगे बाहुबली अतीक चुनाव – सूत्र
तारिक आज़मी
वाराणसी। प्रयागराज के बाहूबलि नेता अतीक अहमद का परचा जांच के पैमाने पर खरा उतरा है। उनका नामांकन रद्द न होना विपक्ष के कई सवालो का भले ही सबब बना हो मगर दूसरी तरफ के सूत्रों से आ रही खबर और भी रोचक है। अतीक अहमद जिनको सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात जेल भेजने का फैसला दिया है, वह अपना नामांकन वापस ले सकते है।
जी हां, अतीक अहमद पर विगत माह एक बड़ा आरोप लगा है कि उन्होंने एक लखनऊ के व्यापारी को उठावा कर देवरिया जेल में उसकी पिटाई किया था। एक बाहुबली के बाहूबल और धन बल का इससे बड़ा उदहारण आप और क्या चाहेगे वह अपना नामांकन वाराणसी से वापस ले सकता है। अतीक से जुड़े सूत्र बताते है कि अतीक के तरफ से हाई कोर्ट में ज़मानत की अप्लिकेशन पड़ी है। अतीक के ज़मानत पर शुक्रवार को अदालत अंतिम फैसला सुनायेगी अगर अतीक को हाई कोर्ट से ज़मानत मिल जाती है तो अतीक वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगे अन्यथा वह अपना नामांकन वापस ले लेंगे।
सूत्रों के अनुसार प्राप्त इस समाचार पर अगर गौर किया जाये तो इसका मतलब साफ़ साफ़ और सीधा सा बनता है कि अतीक अहमद अपनी ज़मानत के लिए यह चुनाव लड़ना चाहते है। इतिहास के झरोखे से देखा जाए तो वाराणसी लोकसभा चुनाव 2009 में मऊ सदर के बाहुबली विधायक मुख़्तार अंसारी ने लोकसभा चुनाव मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ जेल में रहते हुवे लड़ा था। अब अगर अतीक को चुनाव लड़ना ही था तो वह जेल में रहकर चुनाव लड़ सकते थे। मगर शर्त जो निकल कर सामने आ रही है वह यह है कि अगर अदालत ने अतीक को ज़मानत दिया तभी वह चुनाव लड़ेगे अन्यथा नही लड़ेगे और परचा वापस ले लेंगे। इससे यह साफ़ होता है कि अतीक अहमद ने ज़मानत पाने और गुजरात जेल न जाने के उद्देश्य से नामांकन कियी थे। अब देखना होगा कि उच्च न्यायालय क्या अतीक के चुनाव लड़ने की इच्छा देखते हुवे उनको ज़मानत देता है अथवा नही देता है। शायद पिक्चर अभी बाकी है।