मुख्यमंत्री ने सभी जनपदों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों और जिला विद्यालय निरीक्षकों की बैठक को सम्बोधित किया.

तारिक़ खान

 उत्तर प्रदेश की  शिक्षा व्यवस्था के उन्नयन के लिए आमूलचूल
परिवर्तन हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री

शासन के अधिकारियों द्वारा जनपद स्तरीय शिक्षा अधिकारियों
के साथ संवाद की भांति शिक्षा अधिकारियों द्वारा जनपद स्तर
पर भी संवाद स्थापित किये जाने की जरूरत

विश्वविद्यालयों की भांति महाविद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों तथा प्राथमिक
विद्यालयों में भी शैक्षिक कलेण्डर लागू किये जाने की आवश्यकता

आगामी 25 जून से सभी स्कूल खुल जाने चाहिए, विद्यार्थियों के
स्कूल आने से पूर्व विद्यालय गन्दगी से मुक्त होना चाहिए

कैम्प कार्यालय बनाने की व्यवस्था तत्काल बन्द होनी चाहिए

विद्यालय के समय पर कोई भी शिक्षक बेसिक शिक्षा अधिकारी अथवा
जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय में घूमता नहीं दिखना चाहिए

बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रतिदिन कुछ स्कूलों का निरीक्षण करें तथा
सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भी निरीक्षण हेतु भेजें

आगामी जुलाई माह में संचालित होने वाले कार्यक्रमों ‘स्कूल चलो अभियान’,
‘संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ तथा वृृक्षारोपण अभियान के
साथ विद्यार्थियों को जोड़ने का प्रयास होना चाहिए

सभी अधिकारी वर्ष में कम से कम दो बार विद्यालयों के प्रधानाचार्याें के साथ
बैठक करें, प्रधानाचार्य भी अभिभावकों के साथ बैठक करें

शिक्षण संस्थाओं में पुरातन छात्र परिषद का गठन किया जाना चाहिए

स्कूल वाहनों के सुरक्षित संचालन में जिला विद्यालय निरीक्षकों
और बेसिक शिक्षा अधिकारियों की भी भूमिका

सत्र 2019-20 के लिए राजकीय महाविद्यालयों के
प्राचार्य/प्रवक्ता की आॅनलाइन स्थानान्तरण व्यवस्था का शुभारम्भ

लखनऊ: 14 जून, 2019

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि शिक्षा किसी भी समाज के उत्थान का सबसे बड़ा आधार होती है। राज्य की शिक्षा व्यवस्था को समाज और राष्ट्र निर्माण में सक्षम होना चाहिए। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है। शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश की अपनी विशिष्ट छवि रही है। यह राज्य शिक्षा का केन्द्र माना जाता था। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था के उन्नयन के लिए आमूलचूल परिवर्तन हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। शिक्षा और आध्यात्मिक तथा सांस्कृृतिक क्षेत्र में प्रदेश की पहचान को पुनस्र्थापित करने के लिए जनपद स्तरीय शिक्षा अधिकारियों के साथ संवाद हेतु यह सम्मेलन आहूत किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिकारियों को इस प्रकार कार्य करना चाहिए कि शिक्षा पद्धति में हो रहा बदलाव जनता को महसूस भी हो।
मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन आॅडिटोरियम में बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में प्रदेश के समस्त बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी एवं उच्च स्तर के अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अधिवेशन के पश्चात बेसिक शिक्षा मंत्री तथा अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा की बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ अलग से बैठक होगी। इसी प्रकार उप मुख्यमंत्री तथा अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा की जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ बैठक सम्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि कार्याें के प्रभावी एवं सुचारु सम्पादन के लिए संवाद आवश्यक है। आज जिस प्रकार शासन के अधिकारियों द्वारा जनपद स्तरीय शिक्षा अधिकारियों से संवाद स्थापित किया जा रहा है, ऐसा ही संवाद जनपद स्तर पर भी अधिकारियों द्वारा स्थापित किये जाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश, प्रदेश और समाज के भविष्य का निर्धारण शिक्षा अधिकारियों के हाथ में है। क्योंकि जैसे शिक्षक और शिक्षण संस्थान होंगे, वैसे ही छात्र-छात्राएं भी तैयार होंगे और वैसा ही देश का भविष्य बनेगा। हमें इस बात का ध्यान सदैव अपने कर्तव्यों के सम्पादन में रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक की व्यवस्था लोकलाज से चलती है। इसलिए हम सभी को जनमन की अपने प्रति राय को ध्यान में रखकर अपने दायित्वों का सम्पादन करना चाहिए। इससे हम अपने कार्याें में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत दो वर्षाें में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के राज्य सरकार के प्रयासों के अच्छे परिणाम आये हैं। प्रदेश सरकार के प्रयास से बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में लगभग 1.57 करोड़ विद्यार्थी शिक्षारत हैं। इन विद्यार्थियों को दो यूनीफाॅर्म, जूते-मोजे, पुस्तकें, बैग, स्वेटर आदि निःशुल्क उपलब्ध कराये गये हैं। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण मिड-डे मील उपलब्ध कराया जा रहा है। 46 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। कायाकल्प योजना के तहत 90 हजार विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं जोड़ने का प्रयास हुआ है। माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित किये जाने के लिए प्रबन्धक और जिला विद्यालय निरीक्षक को मानदेय पर शिक्षक नियुक्त करने के अधिकार दिये गये हैं। नकल पर कड़ाई से नियंत्रण किया गया है। उच्च शिक्षा में सत्र नियमित हुआ है। समय पर परीक्षाएं हुई हैं और परिणाम भी समय पर आये हैं। इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। इसके लिए शिक्षा अधिकारियों द्वारा रुचि लेकर कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों की भांति महाविद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों तथा प्राथमिक विद्यालयों में भी शैक्षिक कलेण्डर लागू किये जाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने महापुरुषों की जन्म जयंती तथा पुण्यतिथि पर होने वाले अवकाशों को समाप्त किया है। इन अवसरों पर विद्यालयों में सम्बन्धित महापुरुषों के व्यक्तित्व एवं कृृतित्व के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराने की व्यवस्था की गई है। छात्र-छात्राओं को यह ज्ञान होना चाहिए कि राष्ट्रीय एकता और अखण्डता तथा सामाजिक एवं सांस्कृतिक उन्नयन में हमारे महापुरुषों ने किस प्रकार योगदान दिया है। इससे विद्यार्थियों की शिक्षण के प्रति रुचि बढ़ने के साथ ही सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार के कार्यक्रम होली, दीपावली, जन्माष्टमी, रामनवमी, महाशिवरात्रि, ईद, क्रिसमस आदि पर्व और त्यौहारों के सम्बन्ध में भी होने चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्याें के साथ बैठक कर विद्यालय खुलने की तिथि निश्चित कर लें। आगामी 25 जून से सभी स्कूल खुल जाने चाहिए। भले ही विद्यार्थी स्कूल में 1 जुलाई से आयें। इस अवधि में स्कूल में साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए। विद्यार्थियों के स्कूल आने से पहले विद्यालय गन्दगी से मुक्त होना चाहिए। बालक, बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय तथा पेयजल की समुचित व्यवस्था कर ली जानी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए इन कार्याें का निरीक्षण जनपद स्तरीय शिक्षा अधिकारियों द्वारा स्वयं तथा अपने अधीनस्थों द्वारा भी कराया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कमजोर बुनियाद पर मजबूत इमारत नहीं खड़ी हो सकती। इसलिए विद्यार्थियों का विद्यालयों में पढ़ाई का अच्छा वातावरण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी 1 जुलाई से ‘स्कूल चलो अभियान’ संचालित किया जाएगा। अभियान के माध्यम से प्रत्येक पात्र बालक, बालिका का स्कूल आना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके लिए विद्यालय में उनकी फोटो लगायी जाए। उन्होंने कहा कि ब्लाॅक स्तर के अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए। स्कूलों को जनसहभागिता के आधार पर आगे बढ़ाने के प्रयास हों। बेसिक शिक्षा अधिकारियों, जिला विद्यालय निरीक्षकों, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के कार्यालयों को भी साफ सथुरा होना चाहिए। कोई भी अधिकारी कैम्प कार्यालय नहीं बनायेगा। कैम्प कार्यालय बनाने की व्यवस्था तत्काल बन्द होनी चाहिए। विद्यालय के समय पर कोई भी शिक्षक बेसिक शिक्षा अधिकारी अथवा जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय में घूमता नहीं दिखना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षा अधिकारियों द्वारा नैतिकता के उच्च मूल्यों को आत्मसात करना आवश्यक है। शिक्षा जगत को इस दिशा मानक स्थापित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आप सबकी कार्य पद्धति ऐसी होनी चाहिए कि किसी को उंगली उठाने का अवसर न मिले। प्रत्येक स्थिति में नकल विहीन परीक्षा सम्पादित हो। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रतिदिन कुछ स्कूलों का निरीक्षण करें तथा सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भी निरीक्षण हेतु भेजें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों की रैण्डम चेकिंग होनी चाहिए। उन्होंने शुल्क विनियमन अधिनियम को भी प्रभावी रूप से लागू किये जाने पर बल दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आगामी जुलाई माह में ‘स्कूल चलो अभियान’ के साथ ही ‘संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ तथा ‘वृृक्षारोपण अभियान’ संचालित किये जाएंगे। विद्यार्थियों को इन कार्यक्रमों से जोड़ने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि बैग, पुस्तकें, यूनीफाॅर्म आदि समय से उपलब्ध कराने के साथ ही मिड-डे मील की गुणवत्ता और सुरक्षा के मानकों का अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रयास किया जाए कि बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में एक महिला शिक्षिका की तैनाती अवश्य हो। विद्यालयों में समान शिक्षक-छात्र अनुपात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी वर्ष में कम से कम दो बार विद्यालयों के प्रधानाचार्याें के साथ बैठक करें। प्रधानाचार्य भी अभिभावकों के साथ बैठक करें। अधिकारियों, प्रधानाचार्य तथा अभिभावकों के बीच संवाद से शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार आयेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में पुरातन छात्र परिषद का गठन किया जाना चाहिए। वर्ष में एक बार पुरातन छात्र परिषद का सम्मेलन भी किया जाए। सभी छात्रों का अपने विद्यालयों से भावनात्मक लगाव होता है। पुरातन छात्रों को उनके विद्यालयों में बुलाकर सम्मान करने से वे अपने पूर्व विद्यालय के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ेंगे और अपने स्कूल को और बेहतर बनाने के लिए आर्थिक रूप से मदद भी करेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्कूल वाहनों के सुरक्षित संचालन में जिला विद्यालय निरीक्षकों और बेसिक शिक्षा अधिकारियों की भी भूमिका है। वर्ष 2018 के अप्रैल माह में कुशीनगर में स्कूली वाहन दुर्घटना में 13 बच्चों की मृृत्यु की दुःखद घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश मोटर वाहन नियमावली में संशोधन करके अध्याय 9(क) का समावेश किया गया है। इसके अन्तर्गत जनपद स्तर पर विद्यार्थियों की सुरक्षा और उनके परिवहन से सम्बन्धित विषयों पर निर्णय लेने हेतु जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्कूल वाहन परिवहन समीक्षा समिति का गठन किया गया है। जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी भी इस समिति के सदस्य हैं। यह समिति वर्ष में एक बार प्रत्येक स्कूल वाहन की तकनीकी जांच अवश्य किये जाने तथा स्कूल से सम्बन्धित विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करेगी।
इसी प्रकार, विद्यालय स्तर पर विद्यालय सुरक्षा समिति का भी गठन किया गया है, जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा नामित उप खण्ड निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा नामित सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी भी सदस्य होंगे। विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति के प्रमुख कार्य, वाहन की फीस का निर्धारण तथा चालक का पुलिस सत्यापन होगा। इन दोनों समितियों को क्रियाशील करने में में जिला विद्यालय निरीक्षक और बेसिक शिक्षा अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह अधिकारी नियमावली में दिये अपने दायित्वों के समुचित निर्वहन के साथ ही जनपद के सभी माध्यमिक और बेसिक विद्यालयों में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति की क्रियाशीलता सुनिश्चित करेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विद्यालयों में परमिट के बिना कोई भी वाहन संचालित नहीं होना चाहिए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि इस सम्बन्ध में सभी जनपदों के जिला अधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिख समुचित निर्देश दिये जाएं। विद्यालयों के वाहन चलाने वाले चालकों और परिचालकों का पुलिस वेरीफिकेशन अनिवार्य रूप से होना चाहिए। विद्यालयों के खुलने से पूर्व यह कार्य एक सप्ताह में सम्पन्न हो जाना चाहिए, इस सम्बन्ध में पुलिस विभाग को भी समुचित निर्देश दे दिये जाएं। उन्होंने कहा है कि वे स्वयं आगामी 21 जून से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में निरीक्षण के लिए निकलेंगे। इस दौरान वे विद्यालयों का भी औचक निरीक्षण करेंगे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने विगत दो वर्षाें में शिक्षा में सुधार की दिशा में उठाये गये कदमों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी। शिक्षा व्यवस्था में रोजगारपरक शिक्षा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के समर्पित प्रयास से शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हुआ है। मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय ने अपने सम्बोधन में कहा कि राष्ट्र का निर्माण मानव निर्माण से होता है। मानव निर्माण के लिए शिक्षा आवश्यक है। जनपद स्तरीय शिक्षा अधिकारियों की बैठक को अभूतपूर्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री स्वयं जनपदस्तरीय शिक्षा अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। कार्यक्रम के अन्त में, बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती अनुपमा जायसवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम के दौरान सत्र 2019-20 के लिए राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य/प्रवक्ता की आॅनलाइन स्थानान्तरण व्यवस्था का शुभारम्भ भी किया। इस अवसर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी सोनभद्र ने जनपद सोनभद्र में संचालित ‘सोन कायाकल्प योजना’, बेसिक शिक्षा अधिकारी मऊ ने जनपद मऊ में संचालित ‘मिशन पहचान’, जिला विद्यालय निरीक्षक अलीगढ़ ने ‘नकलविहीन परीक्षा के आयोजन’, जिला विद्यालय निरीक्षक लखनऊ ने ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और माॅडल विद्यालय की स्थापना’ तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी बरेली-मुरादाबाद परिक्षेत्र ने ‘एम0जे0पी0 रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में परीक्षा में सुधार’ विषय पर प्रस्तुतिकरण दिये।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा श्रीमती रेणुका कुमार, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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