मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे नर्सिंग होम व झोलाछाप
प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञानपुर,भदोही। एक तरफ जहां शहर से लेकर गांव तक झोलाछाप चिकित्सकों से लेकर प्राइवेट नर्सिंग होम्स की भरमार होती जा रही है। तो दूसरी ओर जिले का स्वास्थ्य महकमा इस पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। आज नर्सिंग होम व झोलाछाप चिकित्सकों का आलम यह है कि गली कूचे में एक छोड़ दर्जनों चिकित्सक अपनी दुकानें सजा रखे हैं। जहां बेधड़क मरीजों का शोषण किया जा रहा है। मामूली से मामूली इलाज के नाम पर मरीजों से हजारों रुपए लिए जाते हैं। दुनिया में शायद ही लोग चिकित्सकों को जमीनी देवता मानते हैं, लेकिन इस पर नजर डालें तो हकीकत कुछ और ही दिखाई देती है।
अक्सर ऐसे कई मामले सुनाई और दिखाई पड़ते हैं। जिनमें इन झोलाछाप व प्राइवेट नर्सिंग होम चलाने वाले चिकित्सकों की ओर से किसी की मृत्यु या किसी मरीज का शोषण हुआ हो। मामले की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी होती है फिर भी इस पर अंकुश नहीं लग पाता है। यदा-कदा कार्रवाई कभी-कभार ही होती है। सूत्रों की मानें तो चंद सिक्कों की खनक के आगे स्वास्थ्य विभाग इन झोलाछाप चिकित्सक व प्राइवेट नर्सिंग होम चलाने वाले संचालकों पर कार्रवाई करने की जहमत नहीं करता है। भदोही कस्बों की बात करें तो ऐसे तमाम प्राइवेट नर्सिंग होम व झोलाछाप चिकित्सक होंगे जो मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने के साथ ही मरीजों का आर्थिक शोषण भी करते हैं ।
यही नहीं हद तो यह है कि इन नर्सिंग होमों में जर बुखार से लेकर बड़े-बड़े ऑपरेशन तक किए जाते हैं। वहीं मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए नर्सिंग होम में मेडिकल स्टोर खोल रखे हैं। इलाज के नाम पर मरीजों को शोषण करते हैं। साथ ही दवा के नाम पर भी उनका आर्थिक शोषण करते हैं।
मजे की बात तो यह है कि जब चिकित्सक मरीजों से इलाज के नाम पर पूरी तरह से पैसे लेते हैं तब तक उसे छोड़ते नहीं। ऐसे में जमीनी देवता माने जाने वाले चिकित्सक मरीजों के ऋसाथ से इसी तरह खिलवाड़ करते रहेंगे तो इन पर भरोसा कौन करेगा? तो सवाल यह भी उठता है कि अवैध रूप से संचालित हो रहे प्राइवेट नर्सिंग होम व झोलाछाप चिकित्सकों पर स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की ओर से इस पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है। प्राइवेट नर्सिंग होम चलाने वाले चिकित्सक व झोलाछाप चिकित्सक मरीजों की सेहत से खिलवाड़ करते ही हैं और जब कोई बात नहीं बन पाती है तो मरीज और उनके परिजन इस बात का विरोध करते है , तो यह जमीनी देवता माने जाने वाले चिकित्सक मरीजों के परिजनों से आपशब्दों का प्रयोग करने के साथ मारचपीट पर उतारू हो जाते हैं।फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की ओर से अवैध नर्सिंग होम व झोलाछाप चिकित्सकों के उपर अंकुश लगता दिखाई नहीं पड़ रहा है।