माइम विधा के द्वारा जल संरक्षण के लिए दिया गया संदेश
तब्जील अहमद
कौशाम्बी/.तहसील सिराथू संसू टेढ़ीमोड: बी आर सी कड़ा के प्राथमिक विद्यालय हिसामपुर परसखी जनपद कौशांबी में आज 16 जुलाई दिन मंगलवार को जल संरक्षण सफल बनाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए बच्चों द्वारा माइम विधा के द्वारा जल सरंक्षण का संदेश दिया गया उसके बाद शपथ लेते हुए गांव स्तर पर रैली निकाली गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ संकुल प्रभारी रमेश चन्द्र व ग्राम प्रधान शिवप्रताप सिंह ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवन करते हुए किया। उसके बाद स्कूल के बच्चों ने एक माइम नाट्य मंचन के माध्यम से पानी की बर्बादी रोकने हेतु लोगो को जागरूक किया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक गुलाबसिंह ने जल संरक्षण के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने का संकल्प लिया।
नाट्य का संदेश स्कूल की सहायक अध्यापिका माया सिंह ने लोगो को बताया कि “शब्द शब्दावली ही रह जाता है, मौन बहुत कुछ कह जाता है” माइम भी ऐसी ही एक विधा है। जिसके माध्यम से बच्चों ने आप सभी को जल संरक्षण का संदेश दिया उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर जल स्तर लगातार घट रहा है। यहां तक कि ग्रीष्मऋतु में पीने के लिए पानी की समस्या हो जाती है। इसका मुख्य कारण है। नलों द्वारा अन्यथा पानी का दुरुपयोग करना।
बच्चों ने अपने एक्ट के माध्यम से किसानों की सिंचाई की समस्या का चित्रण किया तथा किस प्रकार घरों में, शौचालयों में, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि जगहों पर हम नल खुला छोड़ देते है। इससे जल की अत्यधिक बर्बादी होती है। जबकि इस जल की आपूर्ति भूमिगत जल का शोधन करके तथा काफी व्यय करने के पश्चात की जाती है। जो कि सिर्फ पीने के काम मे लाना चाहिए किन्तु हमारी कुत्सित मानसिकता यह है। कि कीमती जल हम यूं ही बहा देते है। परिणामस्वरूप भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन होता है। और भूमिगत जल का स्तर नीचे चला जाता है। जिससे किसानों को सिंचाई की समस्या तथा ग्रामीण वासियो को पीने के पानी नही मिल पाता है। ग्रीष्मऋतु में तो पानी की समस्या भयावह हो जाती है।
उसके बाद उपस्थित सभी छात्रों , अध्यापको व ग्रामीनवासियो द्वारा पानी की बचत हेतु शपथ ली गयी ” बूंद-बूंद पानी बचाएंगे, व्यर्थ न बहाएंगे” उसके बाद बच्चों व अधयापकों ने अभिवावकों के साथ मिलकर ग्रामस्तर पर रैली निकाल कर जल संरक्षण हेतु जागरूक किया। कार्यक्रम का संचालन रामकृष्ण ने किया इस मौके पर रिया सेठी, किरन सिंह, संध्या देवी पटेल, बीरेंद्र कुमार आदि शिक्षक तथा नरेश प्रसाद, महावीर प्रसाद , लल्लन, सुभाष, सुनीता, रामकली, संगीता, बहोरी लाल, गुरु प्रसाद, रामप्रवेश, धर्मराज, रामकैलाश, सतीश, छेदीलाल आदि ग्रामीणों ने सहयोग किया।