स्वीमिंग पुल बना प्राथमिक विद्यालय, बच्चो की पढाई नही स्वीमिंग पुल के काम आ रहा है स्कूल
फारुख हुसैन
पलिया कला खीरी/ भारत नेपाल सीमा पर बसे थारू जनजातिय गांवों की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। नन्हे मुन्ने बच्चे पढ़ने तो आते हैं लेकिन विद्यालय में भरे पानी को देखकर जैसे तैसे वह अपने क्लास रूम में पहुंच रहे हैं, बच्चों का कहना है घर से साफ ड्रेस पहन कर आओ और सब गीले और गंदे हो जाते हैं
गीले कपड़े पहन कर ही क्लास रूम में बैठना पड़ता है टीचर भी परेशान हैं। इस पानी का कोई इलाज प्रशासन के पास नहीं है रास्ते की पुलिया ना होने के चलते सारा जलभराव विद्यालय में हो गया है। विद्यालय के अलावा आसपास के घरों में भी पानी घुटनों से ऊपर है लेकिन लेखपाल साहब को फुर्सत नहीं!
गांव वालों ने बताया कि लेखपाल गोला गोकरननाथ में अपना निजी स्कूल चलाते हैं छुट्टी में ही आते हैं ड्यूटी सरकारी है । यह थरुहाट है यहां जिसे काम नहीं करना उन्हीं का ट्रांसफर होता है! साथ ही गांव के लोगों ने बताया कि लेखपाल अमित सारन ने अपने स्थान पर सरकारी कामकाज करने के लिए एक प्राइवेट आदमी की नियुक्ति की है जो कभी कभार आकर गांव वालों की शिकायत सुन लेता है इसकी शिकायत भी उच्चाधिकारियों से की जा चुकी है लेकिन किसी के कानों पर जूं नहीं रेगता!
वहीं प्राथमिक विद्यालय छेदिया पूरब के प्रधानाचार्य बेबी कुमार का कहना था कि हमने अपने उच्चाधिकारियों को जलभराव संबंधित सूचना दे दी है लेकिन विद्यालय में घुटनों से ऊपर पानी भरा होने के कारण बच्चों और टीचर को परेशानी ही परेशानी है कैसे पढ़ाई हो शिक्षा व्यवस्था में जलभराव पूरी तरह बाधक सिद्ध हो रहा है!