तलाश रहा हु नया नाम जो मेरी पहचान छिपा सके, नया नाम मुझे हिंसक भीड़ से बचा सकता है – नियाज खान (वरिष्ठ अधिकारी मध्य प्रदेश सरकार)
करिश्मा अग्रवाल
भोपाल: मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध देश के विभिन्न हिस्सों में होती मोबलीचिंग की घटनाओं का हर तरफ विरोध हो रहा है। मगर घटनाये करने वाले खुद के हाथो में कानून लेने से ज़रा सा भी नही हिचक रहे है। हालात ऐसे होते जा रहे है कि भीड़ खुद इन्साफ करने के लिए खडी हो जाती है। हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ ही रहे है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रकार कि घटनाओ पर कड़े शब्दों में निंदा किया। मगर हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे है। जिस समय प्रधानमंत्री संसद में अपना यह बयान दे रहे थे और ऐसी घटनाओ पर चिंता कर रहे थे उसी समय चलती ट्रेन में कुछ मदरसे के शिक्षको के साथ ऐसी घटना घट रही थी। इस प्रकार की घृणित घटनाओं से पूरा देश ही इसकी निंदा कर रहा है।
The new name will save me from the violent crowd. If I have no topi, no kurta and no beard I can get away easily by telling my fake name to the crowd. However, if my brother is wearing traditional clothes and has beard he is in most dangerous situation.
— Niyaz Khan (@saifasa) July 6, 2019
इसी बीच अपनी बेबाक पोस्ट के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने एक बयान से चर्चा फिर शुरू करवा दिया है। उन्होंने कहा है कि वह ऐसा नाम खोज रहे हैं, जो उनकी पहचान को छिपा सके। इसके लिए उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उप सचिव स्तर के अधिकारी नियाज खान ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर चिंता जताते हुए ट्वीट किया है कि वे अपनी पहचान छिपाने के लिए नया नाम ढूंढ रहे हैं।
वरिष्ठ अधिकारी नियाज ने शनिवार को ट्वीट कर लिखा, ‘नया नाम मुझे हिंसक भीड़ से बचाएगा। अगर मेरे पास कोई टोपी, कोई कुर्ता और कोई दाढ़ी नहीं है तो मैं भीड़ को अपना नकली नाम बताकर आसानी से निकल सकता हूं। हालांकि, अगर मेरा भाई पारंपरिक कपड़े पहन रहा है, और दाढ़ी रखता है, तो वह सबसे खतरनाक स्थिति में है।
Bollywood actors of my community should also start finding a new name to protect their movies. Now even the top stars movies have started to flop. They should understand the meaning
— Niyaz Khan (@saifasa) July 6, 2019
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में विभिन्न संस्थाओं पर सवाल उठाते हुए लिखा है कि चूंकि कोई भी संस्थान हमें बचाने में सक्षम नहीं है, इसलिए नाम को स्विच करना बेहतर है। नियाज ने आगे लिखा है कि मेरे समुदाय के बॉलीवुड अभिनेताओं को भी अपनी फिल्मों की सुरक्षा के लिए एक नया नाम ढूंढ़ना शुरू करना चाहिए। अब तो टॉप स्टार्स की फिल्में भी फ्लॉप होने लगी हैं। उन्हें इसका अर्थ समझना चाहिए।
ऐसा नही है कि ऐसे हालात सिर्फ एक राज्य के है। अचानक इंसान की मानसिकता बदलती जा रही है। कुछ ऐसी भी ओछी मानसिकता के लोग है जो हर हुमायु से इस बात का जवाब चाहते है कि दुर्गावती आखिर कैसे हुमायूँ की बहन हो सकती है। इंसाफ के पैमाने को कुछ मज़हब के तराजू पर भी तौलते दिखाई दे रहे है। कही न कही ऐसी हालात कलम के साथ भी है जब कलम को अपने लफ्जों की पैरवी करना पड़ रहा है। समाज के संभ्रांत लोगो को ऐसे हालत से समाज को उबारने के लिए आगे आना होगा।