उत्तर प्रदेश विधि आयोग की सिफारिश – मोबलीचिंग के रोकथाम हेतु बने अलग से कानून जिसमे हो आजीवन कारावास तक की सजा
आफताब फारुकी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बढती माब लीचिंग की घटनाओं पर अब प्रदेश के विधि विभाग ने भी चिंता जताई है और ऐसी घटनाओ को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की सलाह दिया है। उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने सलाह दी है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाये। आयोग ने एक प्रस्तावित विधेयक का मसौदा भी तैयार किया है।
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एएन मित्तल ने भीड़ हिंसा पर अपनी रिपोर्ट और प्रस्तावित विधेयक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुधवार को सौंपा। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भीड़ हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस तरह की हिंसा के शिकार व्यक्ति के परिवार और गंभीर रूप से घायलों को भी पर्याप्त मुआवजा मिले। इसके अलावा संपत्ति को नुकसान के लिए भी मुआवजा मिले।
ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार के पुर्नवास और संपूर्ण सुरक्षा का भी इंतजाम किया जाए। आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने बीते गुरुवार को कहा, ऐसी घटनाओं के मद्देनजर आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए भीड़तंत्र की हिंसा को रोकने के लिए राज्य सरकार को विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री को सौंपी गई 128 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में राज्य में भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुए जोर दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के 2018 के निर्णय को ध्यान में रखते हुए विशेष कानून बनाया जाए।
यही नहीं आयोग ने सुझाव दिया है कि एंटी लिंचिंग कानून के तहत अपनी डयूटी में लापरवाही बरतने पर पुलिस अधिकारियों और जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जायें और दोषी पाए जाने पर सजा का प्राविधान भी किया जाए। उत्तर प्रदेश में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 से 2019 तक ऐसी 50 घटनाएं हुईं, जिसमें 50 लोग हिंसा का शिकार बने है।