बिजली विभाग की लापरवाही से मुन्ने की मौत दुखदायी है, मगर पत्रकारों ने क्या किया था, जो मारपीट कर उनके कैमरे तोड़ डाले

आदिल अहमद

कानपुर थाना बेकनगंज अन्तर्गत तलाक महल में शुक्रवार रात लगभग 10 बजे तेज़ बारिश के बाद एक युवक करंट में चिपक गया। जिसके बाद क्षेत्रीय लोग उसे अस्पताल लेकर गए। जहाँ डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक का नाम मुन्ने बताया जा रहा है। जिसकी उम्र लगभग 25 वर्षीय बताई जा रही है। मुन्ने की मौत का मुख्य कारण बिजली की अंडरग्राउंड लाईन बताई जा रही है। क्षेत्रीय जनता का आरोप है कि मानको के विपरीत अंडरग्राउंड लाइने बिछाई गई है, इसी कारण लगातार शहर में हादसे हो रहे है। लेकिन केस्को के कानों तले जूं तक नही रेंगती।

जनता के आरोपों को देखा जाए तो शहर भर में अंडरग्राउंड लाईन के कारण अब तक कई मौते हो चुकी और उनकी मौत का मुआवजा देकर मामले को शांत कराया दिया जाता है। लेकिन इस विषय पर न ही फिर कभी चर्चा होती है और न ही इसकी जांच होती है। आज भी तलाक महल निवासी मुन्ने की मौत के बाद क्षेत्र के आसपास के लोग हजारों की संख्या में पहुंच गए और उन्होंने भीड़ का रूप धारण कर लिया। उस भीड़ ने पूरे इलाके में तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। तोड़फोड़ में कई वाहनों को और केस्को की अंडरग्राउंड लाइनों के बॉक्स को क्षतिग्रस्त कर दिया। भीड़ का गुस्सा अधिकतर पुलिस के ऊपर उतर रहा था। यहाँ सवाल एक दिमाग में आता है कि क्यों भाई क्या बिजली की लाइन पुलिस ने बिछवाई थी।

जब पत्रकारों को इस घटना की जानकारी हुई तो पत्रकार घटना स्थल पर पहुंच गए। वहाँ पहुँचे पत्रकारों के साथ तलाक महल की जनता ने वो सलूक किया जिसका पत्रकारों को अंदाज भी नही था। ऐसा लग रहा था कि जैसे पत्रकारों ने ही इस अंडरग्राउंड बिजली के तारो को बिछाया हुआ हो। जमकर पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इस दौरान भीड़ ने एक पत्रकार को झपट लिया और उसकी जमकर पिटाई करते हुए उसका कैमरा तोड़ दिया। जब अन्य पत्रकारों ने पिटते हुए पत्रकार को बचाने का प्रयास किया तो भीड़ ने अन्य पत्रकारों व पुलिस कर्मियों से भी मारपीट और अभद्रता किया।

मामला बिगड़ता  देख एसएसपी अनन्त देव भी मौके पर कई थानों की फोर्स लेकर पहुंच गए। साथ ही साथ कई सफेद पोश भी पहुंच गए। एसएसपी ने पहुंचकर तत्काल मामले को शांत कराया और भारी पुलिस बल देख भीड़ का भी हौसला पस्त हो गया। पुलिस के भारी बल को देखते हुवे भीड़ जो अभी तक तोड़फोड़ पर उतारू थी ने अपना कोना धर लिया और धीरे से सरक लिए। अभी तक जो बहुत बहादुर बनकर सड़क पर उपद्रव कर रहे थे। वो धीरे से पतली गलियों से निकल चुके थे। अभी तक जब उपद्रवी भीड़ सड़क पर तोड़ फोड़ कर रही थी तो क्षेत्र के खुद को सफेदपोश कहने वाले किनारे खड़े थे। मगर एसएसपी के आते ही वो सफ़ेदपोश भीड़ को ऐसे तितर बितर करवा रहे थे जैसे लग रहा था कि कई घंटो से मेहनत कर रहे हो। समझ तो सभी सकते है कि एसएसपी की नज़र में अपना नंबर बढवाने की कोशिश करने वाले इन सफ़ेदपोशो ने अगर चाहा होता तो शायद इतना उपद्रव भी नही होता।

भीड़तंत्र है न साहब, बेकारी की मशीनों के साथ बैठे भीडतंत्र ने आज तांडव किया सडको पर। मगर यहाँ एक बात समझ में नहीं आने वाली ये है कि आखिर इस भीड़ के रूप में बड़े बड़े बहादुर बनकर खड़े तुम लोगो ने पत्रकार का कैमरा क्यों तोडा और उसके साथ मारपीट क्यों किया ? तुम लोगो ने सभी पत्रकारों से साथ अभद्रता करने की कोशिश किया। आखिर तुम चाहते क्या थे ? तुम्हारी जब शासन प्रशासन में सुनवाई नही होती तो अपनी समस्या को लेकर यही पत्रकारों के आगे आते हो। क्या इस हादसे के ज़िम्मेदार पत्रकार है ? तुम जो मानक के अनुरूप कार्य न होने का आरोप लगा रहे थे और कह रहे थे कि पत्रकारों ने लिखा नही, तो ये बताओ क्या हम अपने मुह में तुम्हारी ज़बान रखते है। हम क्यों लिखे। तुम्हारे प्रतिनिधित्व करने वाले पार्षद से लेकर सांसद तक ने कही कोई सुनवाई किया तुम्हारी। अगर तुम्हारे पार्षद के द्वारा नियमो पर आपत्ति जताते हुवे काम में टोका गया होता तो हमारे लिए तब खबर होती।

बहरहाल इलाके में शांति है। भीड़ अब थक कर घरो के अन्दर जाकर अपने नर्म मुलायम बिस्तर पर आराम कर रही होगी। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

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