रक्षाबंधन पर गाय के गोबर से बने वैदिक वंदन द्वार (सोन पूजन) से करें पूजन
गौरव जैन
रामपुर – पंचगव्य गौ अनुसंधान केंद्र रामपुर के द्वारा रक्षाबंधन पर दीवारों पर लगने वाले सोन को प्राचीन पद्धति के अनुसार गाय के गोबर से बनाया गया है। रक्षाबंधन के पावन त्योहार पर घरो में दीवारों पर सोन लगाकर पूजा की जाती है लेकिन प्लास्टिक और केमिकल का प्रयोग इस कदर बढ़ गया है कि पूजा की पावन चीजो में भी लोग इन्ही का प्रयोग करने लगे है । पंचगव्य गौ अनुसंधान केंद्र के द्वारा त्योहारो को पावन रखने के लिए ही समय समय पर इको फ्रेंडली चीजे बनाई जाती रही है। इसी श्रृंखला में रक्षाबंधन के पावन त्योहार पर गाय के गोबर और पंचगव्य से निर्मित सोन बनाये गए है जो बहुत ही आसानी से दीवारों और दरवाजो पर लगाए जा सकते है और उनका पूजन किया जा सकता है।
गाय के गोबर और पंचगव्य से निर्मित सभी उत्पाद गायवाला डॉट कॉम http://www.gayewala.com से लिये जा सकते है।
क्या है रक्षाबंधन पर होने वाली सोहन पूजा
आज से कुछ साल पहले तक सभी घरो के दरवाजे पर गोबर की लीपन पर चूने गेरू हल्दी से शुभ चित्र अंकित किये जाते थे। और वह कोई अंधविश्वास नही हमारे साइंटिस्ट्स (ऋषि मुनि) द्वारा दी गयी सबसे बड़ी संपत्ति है जिसको आज विदेशी लोग सिद्ध कर रहे ।
यह वंदन द्वार घर को बैक्टीरिया वायरल , रेडिएशन, वायु प्रदूषण, वास्तुदोष, निगेटिव एनर्जी (बुरी नजर व साया) व अनेक प्रकार की बिमारी ऋतु परिवर्तन प्रभाव से बचाता है। प्लास्टिक अशुद्ध अवैज्ञानिक है उसकी पूजा का कोई विधान व लाभ नही है. आप वैदिक साइंस को अपनाये गौशाला गौसंवर्धन को बढ़ाये। भारत को समृद्ध करे चायना को नही।
भारतीय संस्कृति के त्यौहार विज्ञान अद्भुत है हमारे सभी त्यौहार किसी ना किसी माध्यम से गाय से, गोबर से प्रकृति से, फसलों पेड़ों से जुड़े हैं। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी से वैदिक साइंस (परम्परा) का अस्तित्व खतरे में है उसी समस्या को ध्यान मे रखते हुए गौ अनुंसधान केंद्र रामपुर ने पूरे भारत में http://www.gayewala.com के माध्यम से सभी प्रकार के वैदिक पंचगव्य उत्पाद घर-घर पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।