मानवता को जीवन जीने की कला सिखाई, कन्हैया कन्हैया कहके साजन पुकारे

कमलेश कुमार

अदरी(मऊ). घोसी तहसील अन्तर्गत मझवारा क्षेत्र के स्थानीय बाजार में महान संत गोस्वामी तुलसीदास की जयंती बडे ही धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर मानस केसरी कन्हैया दास रामायणी ने कहा कि जो अतुलनीय हो, अनुपम हो, बेजोड हो, उसी का नाम तुलसी है। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना मानस की रचना कर विश्व वसुधा को धन्य धन्य कर दिया। अगर सही आस्था किया जाए तो तुलसी राष्ट्र संत हैं, जिन्होंने मानवता को जीवन जीने की कला सिखाई।

इस मौके पर केदार सिंह ने कहा कि उन्होंने मनुष्य को संत और असंत का अंतर सिखाया। रामचरित मानस के हर दोहे से जीवन जीने की कल्पना निकलती है। इन्होंने ऐसा ग्रंथ लिख दिया, जिसका अब तक इस विश्व में कोई जबाव नहीं है फिर भी वह अपने आपको विद्यवान नहीं मूर्ख मानते थे। उन्होंने कहा कि कहता है युग का जन-गण-मन, तुलसी को सौ-सौ बार नमन। आचार्य अरबिंद राय ने कहा कि यह बात शोध करने की है, कि जिस संत ने जाति-पाति, छुआ-छूत, ऊंच-नीच को समाप्त करने के लिए जी तोड़ प्रयास किया उसे संसार ने मनुवादी कहा।

इससे पूर्व समाजसेवी राधेश्याम व पवन कुमार मदेशिया ने तुलसीदास जी के चित्र पर दीप जलाकर व मानस केसरी कन्हैया दास रामायणी ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। भण्डारे के आयोजन में लोग बढ़ चढ़कर भाग लिया। और आये हुए अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। ग्राम पतिला कीर्तन व भजन मण्डली  सुनील राय ने गीत प्रस्तुति में कन्हैया कन्हैया कहके साजन पुकारे कि कैसी  है दुनियादारी…….ष्  मीठे मीठे बोल में घात ही घात है किस पर उम्मीद करे आदि गीतों से लोगो का मन मोह लिया। इस अवसर पर राधेश्याम मद्धेशिया, भूतपूर्व प्रधान सुबाष प्रजापति, केदार सिंह, राम बिहारी प्रजापति, रमेश लाल, अरविंद राय आचार्य, रामफल मौर्य, राकेश गुप्ता सहित लोग मौजूद रहे।

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